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    UP Board 12th Topper : बहन की सफलता पर बोली दिव्यां‍शी, कहा- हम दोनों को पता था कि आगे-पीछे ही रहेंगे

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Agnihotri
    Updated: Wed, 19 Oct 2022 11:52 PM (IST)

    UP Board 12th Topper यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में अंको के फेरबदल के चलते फतेहपुर की दिव्या प्रदेश टॉपर बन गई हैं। सगी बहन की इस सफलता पर दिव्यांशी ने कहा कि हम दोनों को पता था कि हम आगे पीछे रहेंगे।

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    UP Board 12th Topper फतेहपुर की 12वीं टॉपर दिव्यांशी से ज्यादा जुड़वा बहन दिव्या के अंक।

    फतेहपुर, जागरण संवाददाता। UP Board 12th Topper यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में फतेहपुर की दिव्यांशी ने प्रदेश में टाप किया था। दिव्यांशी की ही छोटी जुड़वा बहन अब प्रदेश टॉपर बन चुकी है। इससे पहले दिव्या के 500 में 433 अंक थे, लेकिन स्क्रूटनी कराने के बाद अब दिव्या के 479 अकं हो गए है। 

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    बहन को मिली सफलता से गदगद

    छोटी जुड़वा बहन दिव्या के यूपी टापर बनने पर पूर्व में प्रदेश टाप का तमगा हासिल करने वाली बड़ी बहन दिव्यांशी अग्रहरि खासी गदगद हैं। उन्होंने कहा, हम दोनों बहनों को उम्मीद थी कि थोड़ा आगे-पीछे रहेंगे लेकिन बोर्ड की गलती से दिव्या के हिंदी व भौतिक विज्ञान के अंक गलत चढ़ जाने से मैं भी खासी हतप्रभ थी। आखिर भूल सुधार हुई तो छोटी बहन को प्रदेश टापर होने का गौरव हासिल हुआ। निश्चित ही यह एक बहन के लिए बहुत ही खुशी की बात है।

    सिविल सेवा में जाना चाहती है दिव्या

    अंकों के फेरबदल के बाद इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रदेश टाप करने वाली मेधावी छात्रा दिव्या अग्रहरि ने कहा, वह यूपीएससी की तैयारी कर सिविल सेवा में जाना चाहती हैं। इसके लिए उसने तैयारी शुरू कर दी है। अभी उसने सीयूईटी (कामन यूनिवर्सिटी इन्ट्रेंस टेस्ट) की परीक्षा 99.2 परसेंटाइल अंकों के साथ उत्तीर्ण की, जल्द ही किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त करेगी।

    दैनिक जागरण से बातचीत में मेधावी ने सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों के मार्गदर्शन को दिया। विशेषकर जय मां सरस्वती ज्ञान मंदिर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य विनय प्रताप सिंह को अपना मार्गदर्शक बताया। कहा, प्रधानाचार्य के उत्साहवर्धन से कड़ी मेहनत व लगन के साथ तैयारी की। कहा, किसी भी परीक्षा की तैयारी में समय प्रबंधन का विशेष महत्व होता है।

    दिव्या ने आगे कहा  कि प्रतिदिन छह से सात घंटे की पढ़ाई से यह मुकाम मिला है। कहा कि सुबह चार बजे से कठिन विषयों का रिवीजन किया और शाम को भी तीन से चार घंटे रोजाना पढ़ाई की। स्कूल में शिक्षकों का मार्गदर्शन प्रतिदिन मिलता रहा। 

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