टिशू कल्चर अनार से खुशहाली की बहार
फतेहपुर : लहसुन की खेती से प्रगतिशील किसान बने औंग के शैलेंद्र ¨सह पटेल टिशू कल्चर के ...और पढ़ें

फतेहपुर : लहसुन की खेती से प्रगतिशील किसान बने औंग के शैलेंद्र ¨सह पटेल टिशू कल्चर के अनार की बागवानी से कामयाबी एक नई इबारत लिखी है। कहते है कि अनार की बागवानी से अगले पच्चीस साल तक की आय का रास्ता तैयार हो गया है। साल में एकमुश्त लाखों की आय होने के साथ खाली जमीन में मटर, प्याज, चना, अरहर, लहसुन आदि की खेती से अतिरिक्त आय हासिल हो जाती है। शैलेंद्र ने अप्रैल 2015 में जलगांव (महाराष्ट्र) टिशू कल्चर के साढ़े चार सौ पौध तीन बीघे खेती में लगाकर बागवानी शुरू की। अठारह माह में मिली पहली फलत में तो उन्हें एक बीघे में सत्तर से अस्सी हजार का फायदा मिला लेकिन अब साल में डेढ़ से दो लाख की आय हो रही है। नई तकनीक अपना कर किसान ने 380 ग्राम वजन के अनार की फलत लेकर एक रिकार्ड बनाया है। एक दर्जन से अधिक किसानों ने अनार की खेती शुरू कर इस क्षेत्र को अनार की बेल्ट के रूप में पहचान देने का प्रयास किया है।
इस तरह करें बागवानी
- अनार के टिशू कल्चर की पौध को खेत में तीन मीटर की लंबाई व चौड़ाई में लगाना चाहिए। इससे बीच की खाली जमीन में ट्रैक्टर से जुताई कर आसानी से दूसरी फसल ली जा सकती है। पूरे खेत में पानी न लगाकर ड्रिप ¨सचाई से पौध की जड़ में हर पंद्रह दिन में पानी की जरूरत रहती है। जैविक उर्वरक व जैविक दवाओं से प्रयोग से फल की गुणवत्ता बेहतर रहती है। किसान ने बताया कि फलत लेने के बाद पेड़ की छंटाई करनी पड़ती है।
साल में कभी लग सकते पौधे
- अनार की बागवानी के लिए किसी मौसम का इंतजार नहीं करना पड़ता। किसी भी महीने में इसके पौध लगाए जा सकते है। ठंडी का मौसम इसके लिए ज्यादा अनुकूल रहता है। अठारह माह बाद पौध में फल आने लगते है। मार्च महीने में पौध में फूल आ जाते है इसके एक माह बाद फल लगना शुरू हो जाता है। जून से जुलाई माह में फल पकने लगता है। इस से पांच माह तक पौध की देखरेख अच्छी तरह से करनी पड़ती है।
चौथे साल से मिलती पूरी फलत
- अनार की बागवानी की उम्र यूं तो पच्चीस साल की होती है। चार माह में पौध पूरी तरह से तैयार हो जाता है और पूरी फलत मिलने लगती है। पहले साल एक पौध में 10 से 15 किलो, दूसरे साल 20 किलो, तीसरे साल पच्चीस किलो और चौथे साल से एक पौध में 30 से 35 किलो फलत प्राप्त होती है। पचास रुपये प्रति किलो की बिक्री पर एक पौध में कम से कम डेढ़ हजार की आय मिलती है। एक बीघे में डेढ़ सौ पौध से दो लाख बासठ हजार की आय साल में मिल जाती है।
लाल मकड़ी व फंगस रोग का खतरा
- अन्य फसलों में तो किसानों को हर साल लागत लगानी पड़ती है। अनार में एक बार पौध लगाने के बाद ढाई दशक तक मामूली खर्च में अच्छी आय हासिल होती है। जिला उद्यान अधिकारी एके श्रीवास्तव ने बताया कि अनार को लाल मकड़ी, फंगस व फली छेदक रोग से खतरा रहता है। स्प्रे से समय-समय में दवाओं का छिड़काव कर पौध को रोग से बचाया जा सकता है। कहा कि औंग मे अनार की बागवानी में उच्च गुणवत्ता का अनार तैयार हो रहा है। अनार की बागवानी करने की चाहत रखने वाले किसान शैलेंद्र ¨सह के मोबाइल नंबर 9794072123 से संपर्क कर तकनीक की जानकारी हासिल कर सकते है।

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