नवरात्र के लिए सजे मंदिर, कल मइया आएंगी द्वारे
जागरण संवाददाता फतेहपुर चैत्र नवरात्र की तैयारी घर से लेकर बाजार तक दिखाई दे रही ह

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : चैत्र नवरात्र की तैयारी घर से लेकर बाजार तक दिखाई दे रही है। बाजारों में देवी दुर्गा के नवों रूपों की प्रिय वस्तुओं को लेकर सजी दुकानें देवीभक्तों को बरबस लुभा रही हैं। सुबह से शाम पहर तक इन दुकानों में खरीदारों की भीड़ दिख रही है। घरों में तैयारी को लेकर महिलाएं देवी स्थान को सजाने संवारने में व्यस्त रही हैं। कलश स्थापना और विधि विधान को लेकर आचार्यों से रायशुमारी हुई।
नवरात्र दो अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। 11 अप्रैल तक देवी दुर्गा की आराधना घरों और देवीस्थानों में होगी। सिद्धपीठों में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है तो घरों में देवी आराधना के लिए देवीभक्त जुटे हुए हैं। शहर के सिद्धपीठ तांबेश्वर मंदिर, कालिकन मंदिर, दुर्गा मंदिर सैदाबाग, बिदकी में ज्वाला देवी मंदिर, काली मंदिर, विंध्ववासिनी मंदिर, पंथेश्वरी मंदिर खजुहा, खागा के दुर्गा मंदिर में साफ सफाई सहित आराधना में आने वाले भक्तों को दिक्कत न हो इसके लिए योजनाएं बनाई जाती रही हैं। बाजारों में मनमोहक चुनरियां और लहंगे सहित अन्य वस्त्र देवीभक्तों को लुभा रहे हैं। महिलाओं ने देवी पूजन के लिए वस्त्र, चूड़ी, सिदूर, रंग, भोग सामग्री खरीदा। उपवास के लिए लोग सामग्री खरीदने में व्यस्त रहे।
कलश स्थापना, व्रत और पारण
आचार्य दुर्गादत्त शास्त्री ने बताया कि नवरात्र दो अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। नौ दिन देवी आराधना को इसबार मिल रहे हैं। कलश स्थापना सुबह 5:52 से 8:22 बजे तक शुभ मुहूर्त में होगा। महा अष्टमी व्रत नौ अप्रैल शनिवार और रामनवमी व्रत 10 अप्रैल को तथा हवन भी 10 अप्रैल को होगा। जो देवीभक्त नौ दिन का व्रत रखते हैं उनका पारण 11 अप्रैल को होगा। आचार्य कहते हैं कि दैनिक कार्य और स्नानादि के बाद विधि विधान से देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए कलश स्थापना की जानी चाहिए। कलश स्थापना के बाद यथा शक्ति देवी के नौ स्वरूपों के पूजन के लिए विधान का पालन किया जा सकता है। स्वच्छ मन और भाव से पूजन करने से देवी प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित वरदान को पूरा करती हैं।
कन्याभोज कर कमाएंगे पुण्य
देवी आराधना के संग कन्याभोज का अनुष्ठान भी खूब होता है। कुवारियों को देवी का प्रिय भोग हलवा, चूना, पूड़ी, दही जलेबी जैसे व्यंजन परोसे जाते हैं। देवीभक्त रिचा सिन्हा, रूबी गुप्ता, सरिता श्रीवास्तव, अंजलि, बताती हैं कि कन्या भोज कराने के लिए एक दिन पहले निमंत्रित किया जाता है। दूसरे दिन घर आने पर पैर धोकर, बिछाए गए आसन पर बिठाया जाता है। दुर्गास्वरूपा कन्यों को देवी के स्वरुचि भोग परोसा कर भोजन कराया जाता है। इसके बाद उपहार और दक्षिणा देकर पैर छूकर आशीर्वाद की कामना की जाती है।
नवरात्र में बहेगी 16 संस्कारों की बयार
नवरात्र के पावन मौके पर 16 संस्कारों की बयार बहेगी। नामकरण, कर्णछेदन, अन्नप्राशन, मुंडन सहित सोलह संस्कारों की भरमार रहती हैं। इनमें तमाम कार्यक्रम देवीपीठों में में होते हैं। विधिविधान और कुलरीति एवं परंपरा के अनुसार आयोजित किए जाते हैं। बच्चों के मांगलिक कार्यक्रम कुल देवी के दरबार में कराने के लिए देश परदेश में रहने वाले लोग परिवार के साथ पहुंचते हैं। लोग कुल की परंपरा का निर्वहन करते हुए देवी से पाल्यों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
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