सिसक रहा स्वच्छता अभियान, ऊपर पायदान को रहा खिसक
जागरण संवाददाता फतेहपुर शहर को स्वच्छता की चादर से ढंकने के लिए प्रयासों में शिथिलता

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : शहर को स्वच्छता की चादर से ढंकने के लिए प्रयासों में शिथिलता के चलते अभियान परवान नहीं चढ़ पाई है। स्वच्छता मिशन कछुआ की गति से शहर में चला। इसके चलते रेटिंग में सुधार हुआ, पर संतोषजनक स्थिति नहीं प्राप्त हो पाई। तीन साल पहले से 109 पायदान ऊपर चढ़कर वर्ष 2021 की रेटिग में बढ़ोतरी दर्ज कराई गई है। जिम्मेदारों के संजीदगी के अभाव में सफाई योजनाएं औंधे मुंह गिरी पड़ी हैं। सदर पालिका की दो लाख 46 हजार की आबादी को पर्याप्त सफाई नहीं मिल पा रही है। मुख्य सड़कों में सफाई का फोकस रहता है तो गलियां समस्याओं से जकड़ी रहती हैं। कूड़ा निस्तारण योजना धरातल से नहीं उठ पा रही है। गलियों के प्लाटों में जमा कूड़ा और उफना रही नालियां सफाई न होने की गवाही दे रहे हैं। 34 वार्डों में स्वच्छता की बुरी स्थिति है, जनता चिल्ला रही है। इसके बावजूद गंदगी से साथ नहीं छूट पा रहा है। बानगी के तौर पर गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग निस्तारित करने की योजना फेल है। कूड़ा कलेक्शन में नीले-हरे ड्रम गायब हैं। सदर पालिका की तीन साल की रैकिग स्थिति -
वर्ष - रैकिग
2019 - 392
2020 - 331
2021 - 283
मानीटरिग का दिख रहा अभाव
सदर पालिका की ओर से चलाए गए अभियानों पर नजर दौड़ाएं तो जगह जगह पर दायित्व निर्वहन में खोट नजर आ रही है। लोगों में जागरूकता का अभाव दिख रहा है तो दायित्व निर्वहन करने वाले जिम्मेदार कन्नी काटे रहते हैं। प्रतिदिन सफाई न होना, प्रति दिन कूड़ा कलेक्शन न करना, शिकायतों को तवज्जो देने के बजाए मुंह मोड़े रहना जैसी दिक्कतें स्वच्छता अभियान को झटका दे रही हैं।
मैं हूं स्वच्छता का प्रहरी
एकला चला था, करवां बढ़ता जा रहा
घर हो या फिर शहर गंदगी देखकर मन व्यथित हो जाता है। तभी इस व्याकुलता को शांत करने और समाज में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाने की सोची। इसी बीच केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन योजना का सहारा मिला। खुद के अभियान को प्रशासनिक सहयोग भी मिला। वर्ष 2014 से लेकर स्वच्छता अभियान का काम निरंतर चला रहा हूं। हर व्यक्ति को सफाई के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता हूं। सफलता को सोचता हूं असफलता को कभी चित्त में नहीं लाता हूं। स्ट्रीट वेंडर्स को कूड़ेदान बांटने का काम हो या फिर गंदगी देखकर हाथ जोड़कर दोबारा इस स्थिति न पैदा करने का निवेदन निरंतर चल रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से अब तक 2000 बड़े और 2500 छोटे डस्टबिन बांटे हैं। शहरों में घूमते समय वितरण वाले डस्टबिन पर नजर भी रहती है। समूचे अभियान की बात करें तो भले ही वितरण किए गए प्लास्टिक के डस्टबिन टूट गए हों लेकिन व्यापारियों ने खुद कूड़ा करकट जमा करने के लिए व्यवस्था कर रखी है। साथियों के सहयोग से समय समय पर सड़कों पर उतर कर सफाई रखने के लिए प्रेरित करने का काम किया जाता है।
किशन मेहरोत्रा, समाजसेवी, अध्यक्ष व्यापार मंडल
शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यही वजह है कि हम सर्वे के आधार पर 100 पायदान चढ़े हैं। स्वच्छता में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के प्रयास भी होते हैं। डोर-टू-डोर को जल्द ही कसौटी पर खरा उतरा जाएगा। जनवरी माह में आने वाली रैंकिंग रैकिग में हम आशा से अधिक पायदान पर नजर आएंगे। कर्मियों की लापरवाही और लोगों में जागरूकता के अभाव केा दूर किया जाएगा।
मीरा सिंह, अधिशासी अधिकारी
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