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    घरेलू आय कम होने से फंसा नपा कर्मियों का वेतन

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 15 Sep 2021 06:37 PM (IST)

    संवाद सहयोगी बिदकी शासन से राज्यवित्त में नगर पालिका कर्मचारियों के वेतन भत्तों के लिए मिल

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    घरेलू आय कम होने से फंसा नपा कर्मियों का वेतन

    संवाद सहयोगी, बिदकी : शासन से राज्यवित्त में नगर पालिका कर्मचारियों के वेतन भत्तों के लिए मिलने वाली धनराशि कम होने से वेतन का संकट खड़ा हो गया है। बजट बढ़ाने के बजाए शासन ने साफ कर दिया है कि वेतन-भत्तों पर कम पड़ने वाली धनराशि नपा घरेलू आय से जुटाए।

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    नपा को राज्यवित्त में मिलने वाली धनराशि कर्मचारियों के वेतन, भत्तों व पेंशन पर खर्च होती है। इन खर्चों के बाद जो धनराशि शेष बचती है उससे अन्य विकास के काम कराए जाते हैं। कोरोना से पहले नपा के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों व पेंशन में 58.66 लाख रुपये व्यय होता था। 11 फीसद डीए बढ़ने के बाद वेतन पर खर्च बढ़कर 66 लाख रुपये के करीब पहुंच गया है। डीए के बाद बढ़े हुए वेतन की अतिरिक्त धनराशि का इंतजाम नपा को घरेलू आय से करना है, इसका शासनादेश आने के बाद पालिका की चिता बढ़ गई है। अतिरिक्त दस लाख की धनराशि का इंतजाम न हो पाने के कारण कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है। घरेलू आय से अधिक है खर्च

    नगर पालिका की सभी मदों से वर्ष 2020-21 में घरेलू आय 80 लाख रुपये थी। हालांकि, इससे कहीं अधिक नपा का घरेलू खर्च है। अब नपा ने अगर घरेलू आय को वेतन मद में खर्च करती है तो फिर अन्य घरेलू खर्चों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा। तीन वर्ष से नहीं मिल रहा दो फीसद स्टांप शुल्क

    नपा को तहसील के सब रजिस्ट्रार कार्यालय से दो फीसद स्टांप शुल्क पर प्रतिवर्ष करीब 60 लाख रुपये की आमदनी होती थी। कोरोना काल के पहले करीब तीन वर्ष से दो फीसद स्टांप शुल्क भी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण नपा की आर्थिक हालात और खराब हो गए हैं। नगर पालिका की आय पर एक नजर

    - नगर पालिका की घरेलू आय - 80 लाख रुपये सालाना।

    - राज्यवित्त से प्रतिमाह मिलने वाली धनराशि - 55.95 लाख

    - वेतन पर प्रतिमाह का कर्मचारियों पर खर्च - 66 लाख रुपये वेतन कैसे पूरा हो इस पर चल रहा विचार : ईओ

    ईओ निरूपमा प्रताप ने बताया कि राज्यवित्त से शासन जो धनराशि मिली है, उसमें वेतन पूरा नहीं हो रहा है। अब इसे घरेलू आय से पूरा करना है। वेतन के लिए आय बढ़ाने के संसाधन कैसे जुटाए जाएं, इस पर विचार चल रहा है। ऐसे में टैक्स विभाग की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।