सुरक्षित प्रसव के लिए शरीर में खून की सही मात्रा जरूरी : सीएमएस
जागरण संवाददाता फतेहपुर सुरक्षित प्रसव के लिए महिला के शरीर में खून की सही मात्रा जरूर

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : सुरक्षित प्रसव के लिए महिला के शरीर में खून की सही मात्रा जरूरी है। यदि गर्भवस्था से ही खून के प्रति जागरूक हो जाएं तो प्रसव में किसी प्रकार की परेशानी से बचा जा सकता है। हर छह माह में खून की जांच कराएं। यह बात जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा. रेखारानी ने कही है। वह जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को जागरूक कर रहीं थी। सीएमएस ने कहा, एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी होना होता है। अगर महिलाओं में हीमोग्लोबिन 11 से 14 ग्राम प्रतिलीटर के बीच है तो चिता की जरूरत नहीं है। लेकिन इससे कम है तो सावधान हो जाएं। सात से 10 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर उसे मोडरेट (मध्यम) एनीमिया कहते हैं। अगर यह सात से कम है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है। ऐसे प्रसूता के साथ कुछ भी हो सकता है।
ये हैं एनीमिया के लक्षण
- त्वचा, होठों और नाखूनों का पीला पड़ना या सफेद होना।
- थकान और कमजोरी महसूस होना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- दिल की धड़कन तेज होना।
- ध्यान लगाने में दिक्कत आना।
- लेटते या बैठते समय चक्कर आना।
- चेहरे एवं पैरों पर सूजन आना
ये हैं कारण
- सबसे प्रमुख कारण आयरन (लौह तत्व) वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना।
- शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना।
- माहवारी में अधिक मात्रा में खून जाना।
- दुर्घटना ,चोट में अधिक खून का निकलना।
ये हैं बचाव
- आयरन युक्त पदार्थ का सेवन करें।
- विटामिन ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन।
- गर्भवती एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से सौ दिन तक आयरन तत्व और फालिक एसिड की एक गोली रात को खाना खाने के बाद सेवन करनी चाहिए।
- काली चाय एवं काफी पीने से बचें।
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें।
- हरी सब्जियों का करें प्रयोग।
- मूंगफली, अंडा, कुकुरमुत्ता, मटर व फलियां, दालें, सूखे मेवे, मछली, मांस, बाजरा, गुड़, गोभी, शलजम का प्रयोग करें।
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