मटर और लाही का भूसा बना मुसीबत, बीमार हो रहे गोवंशी
जागरण संवाददाता फतेहपुर गेहूं का भूसा खोजे नहीं मिल रहा है ऐसे में पंचायतें गोशाला
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : गेहूं का भूसा खोजे नहीं मिल रहा है, ऐसे में पंचायतें गोशाला में लाही और मटर के भूसे को तवज्जो दे रही हैं। नियमित यह चारा खाने के कारण गोवंशी पशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। आलम यह है कि मटर व लाही के भूसा को खाने से पशु का पेट फूलता है और उसकी आंतों को नुकसान पहुंचता है। कई बार यह खान-पान ही पशुओं की मौत का कारण बन रहा है। पशु मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने गोशालाओं में इस तरह के चारे पर रोक लगाने की मांग की है।
जिले भर में इस समय 46 गोशालाएं संचालित हैं। इनमें 13 हजार से अधिक गोवंशी पशु संरक्षित हैं। मुसीबत यह है कि गेहूं की फसल अभी तैयार नहीं है। पशुओं के लिए चारे का इंतजाम कमजोर है। विकल्प के रूप में पंचायतें सस्ते के चक्कर में लाही और मटर का भूसा खरीद रहीं है जो कि 250 से 350 रुपये क्विंटल आसानी से मिल रहा है। लेकिन इस चारे के असर से पंचायतें पूरी तरह से अंजान है। दरअसल, यह चारा पशुओं का भूख से पेट तो भर दे रहा है, लेकिन इसका असर यह है कि वह बीमार हो रहे हैं। बीते 15 दिनों के परीक्षण में पशुधन विभाग इस नतीजे पर पहुंचा है कि लाही व मटर का भूसा नियमित सेवन करने से पशु के लिए घातक है।
लाही और मटर भूसा मिलाकर खिलाते
एक पशु को 24 घंटे में न्यूनतम चार किलो भूसा, दाना की जरूरत होती है। जिले में 13 हजार से अधिक गोवंशी पशु है। क्योंकि, गेहूं का भूसा नहीं है, इसलिए हर दिन इन पशुओं के लिए 260 क्विंटल लाही और 260 क्विंटल भूसा खरीद कर खपाया जा रहा है। यह पशुओं की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है।
पेट की बीमारी से मौत का खतरा
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. आरडी अहिरवार ने बताया कि लाही और मटर के भूसे के नियमित प्रयोग से पशु का पेट फूलता है। इससे उसे पेट संबंधी बीमारी होती है। कई बार पशुओं की आंते तक फट जाती है। उसकी जान भी सकती है। उच्च अधिकारियों को यह खतरे बताते हुए इस भूसे के नियमित प्रयोग पर रोक का अनुरोध किया गया है।
जिले की तस्वीर
कुल संचालित गोशालाएं--46
कुल संरक्षित गोवंशी पशु-13303
लाही व मटर भूसे का रेट- 250 से 350 रुपये क्विंटल
गेहूं के भूसे का रेट----1000 से 1300 रुपये क्विंटल तक
- एक पशु के लिए एक दिन मात्रा---चार किलोग्राम
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