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    अब खतौनी की तरह आबादी भूमि का तय होगा स्वामित्व

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:10 AM (IST)

    नाम सोवरन निषाद प्रधान ग्राम पंचायत पाल शिक्षा बीए पर्यावरण प्रदूषण जल संरक्षण के लिए कर रहे काम ...और पढ़ें

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    अब खतौनी की तरह आबादी भूमि का तय होगा स्वामित्व

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही भूमिधर जमीनों की तरह अब आबादी के अंदर की जमीनों कागजी दस्तावेज तैयार होंगे। खड़ंजा और रास्ते के अलावा खाली पड़ी आबादी की जमीनों के होने वाले विवाद हमेशा के लिए सुलझ जाएंगे। भारत सरकार ने स्वामित्व सर्वे को हरी झंडी दे दी है, जिसके जरिए गांव के अंदर किस व्यक्ति की जमीन कहां हैं और और उसकी क्या-क्या अचल संपत्तियां है इसका ब्योरा जुटाया जाएगा और सेटेलाइट के जरिए गांवों की गूगल मैपिग कराकर इस रिकार्ड को सरकारी मान्यता प्रदान की जाएगी।

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    राजस्व नियमों के तहत अभी तक कोई भी ऐसे नियम नहीं है, जिससे यह साबित हो की गांव के अंदर किसकी कौन सी जमीन है, कहां से नाली व रास्ते हैं। नतीजा कि गांव की गलियां समय के बढ़ रही आबादी के कारण कम हो रही है। नालियों को पाट कर भी लोग अपने घर में मिला रहे हैं। जिससे जल निकासी की समस्या खड़ी हो रही है। अब सरकार ने इसका इंतजाम शुरू किया है। जिसके लिए पंचायती राज विभाग के जरिए सरकार गांव-गांव सर्वे कराकर गांव के अंदर की अचल संपत्तियां जानना चाहती है। इस बात का पुख्ता रिकार्ड रहे इसके लिए मजबूत तैयारी शुरू की गई । जल्द ही अपने जिले में भी सर्वे का काम शुरू होगा और गांव के अंदर की आबादी का ब्योरा तैयार किया जाएगा। मिल चुके है निर्देश शीघ्र शुरू होगा काम: डीपीआरओ

    जिला पंचायत राज अधिकारी अजय आनंद सरोज ने बताया कि हाल ही में हुई वीडियो कांफ्रेसिग में भारत सरकार ने स्वामित्व योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। यूपी में इस काम के लिए दस संस्थाओं को सर्वे का काम दिया गया है जो पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर इस तरह का रिकार्ड तैयार करेंगी। मौजूदा व्यवस्था में सिर्फ गाटा ही रिकार्ड: एसडीएम

    एसडीएम प्रमोद झा जहां तक भूमिधर व सुरक्षित खातों की जमीन की बात है उसका रिकार्ड खतौनी में होता है। लेकिन मौजूदा सरकारी व्यवस्था में आबादी की जानकारी सिर्फ गाटा नंबर से होती है। उस गाटे के अंदर कहां पर किसका कब्जा है, यह सरकारी दस्तावेजों में नहीं होता। ऐसे विवादों का निपटारा हम कब्जे के आधार पर ही करते हैं।