खनन से खूब कमाई रकम, 1.56 लाख पौधे लगाने से मुकरे पट्टा धारक; CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
फतेहपुर में खनन पट्टाधारकों ने पौधारोपण का वादा तोड़ दिया। 2017 से 2022 के बीच दस फर्मों ने खनन पट्टे हासिल किए लेकिन 1.56 लाख पौधों का लक्ष्य पूरा नहीं किया। कैग रिपोर्ट में खुलासा होने पर वन विभाग और खनन विभाग में खलबली मच गई है। नियमों के अनुसार प्रति एकड़ 200 पौधे लगाने थे लेकिन विभागों की लापरवाही से यह काम नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर। 2017 से 2022 के मध्य अलग-अलग दस फर्मों ने जिले में खनन पट्टा इस शर्त पर हासिल किया था कि वह आवंटित खनन क्षेत्र के बराबर भूमि पर पौधा रोपण करेंगे।
लिखित भरोसे पर वन विभाग ने इन्हें खनन अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया, लेकिन जैसे ही पट्टा फर्मों को अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया वह अपना वादा ही भूल गई। मौरंग खनन करके करोड़ों की कमाई की, लेकिन 1.56 लाख के लक्ष्य के सापेक्ष एक भी पौधा नहीं रोपा।
भारत के नियंत्रण महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में यह पोल खोली तो वन और खनन विभाग में खलबली मच गयी है। क्योंकि पौधारोपण के लक्ष्य की पूर्ति दोनों विभागों को अपनी देखरेख में करानी थी, लेकिन लापरवाही ऐसी रही कि दोनों विभागों ने इस बारे में कभी कोई सवाल ही नहीं उठाया।
अंधेर तो यह है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में पौध रोपण आवंटन के लिए डीएफओ की तरफ से खनन विभाग को आवंटित लक्ष्य में इसे शामिल तक नहीं किया गया। बता दें कि जिले भर में दस फर्मों को पट्टे 2017 से 2022 के मध्य आवंटित हुए हैं।
इन्हें खनन के लिए कुल 783 एकड़ की भूमि आवंटित हुई थी। इस भूमि से खनन फर्मों ने खूब कमाई की, लेकिन बदले में इतनी ही भूमि पर पौधा रोपण कराने और उन पौधों की सुरक्षा के लिए कोई काम नहीं किया।
इन पट्टा फर्मों ने किया है खनन
जिले में गोविंदा इंफ्राटेक-अढ़ावल, शिवजी ट्रेडर्स-ओती, टसमस-गढ़ीवा मझीवा, इंदौर प्रापर्टी-रामनगर कौहन, वंशीधर कंपनी-अढ़ावल दस, आदित्य विल्डिंग मैटेरियल-सलेमपुर, साधना स्टील-ओती कंपोजिट, देवयश कंपनी-रामनगर, घानाराम इंफ्राटेक- संगोलीपुर, बामदेव ग्लोबल-बारा ने जिले में पट्टा अधिकार प्राप्त कर खनन किया है। 2017 के बाद इन्होंने खनन किया और पैसा कमाकर अपनी आय बढ़ाई लेकिन पर्यावरण के लिए इन्होंने चिंता नहीं की है।
प्रति एकड़ 200 छायादार व फलदार पौधे करने थे तैयार
चार जून 2008 को वन विभाग द्वारा निर्देश पत्र जारी किया गया था कि कोई भी पट्टा संस्था यदि नदियों के आसपास खनन पट्टा हासिल करती है तो पट्टा क्षेत्र में आवंटित भूमि के बराबर क्षेत्रफल में उसे पौधा रोपण करना होगा।
एक एकड़ में कम से कम 200 छायादार व फलदार पौधे लगाने होंगे। उन पौधों की सुरक्षा के लिए बाड़ व सिंचाई का खर्च भी पट्टा संस्था द्वारा उठाया जाएगा। अंधेर यह है कि वन व खनिज विभाग की अनदेखी से यह काम जिले में हुआ ही नहीं है।
‘कैग रिपोर्ट में क्या आया मैने अभी देखा नहीं, लेकिन पट्टा शर्त में पौध रोपण का कार्य है तो पट्टा संस्था से पूरा कराया जाएगा। जिन संस्थाओं ने यह काम अभी तक पूरा नहीं किया है उनकी जांच होगी। नियमानुसार इसकी पूर्ति भी कराई जाएगी।’
-अविनाश त्रिपाठी, एडीएम राजस्व एवं वित्त
‘पौधा रोपण की शर्त पर विभाग की तरफ से अनापत्ति दी गयी है, चूंकि मै दो माह पहले ही जिले में आया हूं इसलिए संपूर्ण जानकारी नहीं है। अगर पौधा रोपण नहीं कराया गया है जानकारी करके कार्रवाई भी तय कराएंगे।’
देवदत्त मिश्र, डीएफओ
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