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    Fatehpur Maqabara : मंदिर-मकबरा विवाद के बाद पटरी पर लौटी जिंदगी, पैरवी के लिए ये खास तैयारी कर रहे BJP-विहिप!

    फतेहपुर में मंदिर-मकबरा विवाद के बाद जिंदगी सामान्य हो रही है। स्थानीय लोगों को आने-जाने की पूरी छूट मिल गई है दुकानें खुल गई हैं और बच्चे स्कूल जा रहे हैं। हालांकि मकबरा स्थल पर अब भी पुलिस तैनात है। इलाका वासी अब इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासन सोशल मीडिया पर अफवाहों पर कड़ी नजर रख रहा है।

    By Vinod mishra Edited By: Shivgovind Mishra Updated: Thu, 21 Aug 2025 03:53 PM (IST)
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    मकबरा विवाद के बाद विवादित स्थल पर अब भी सुरक्षा घेरा। जागरण

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर । मंदिर-मकबरा प्रकरण अब भी सुर्खियों में बना है। बावजूद इसके अब धीरे-धीरे हालात सामान्य सामान्य होने लगे हैं। बुधवार को 10 वें दिन स्थानीय लोगों के लिए पूरी तरह से ढील रही। यहां कि 20 25 बैरियर भी हटा दिए गए। जबकि गलियों से लेकर मुख्य मार्ग तक आम लोगों की आवाजाही दिखी। आबूनगर रेडइया में जहां बना आधार कार्ड के घुसना मना था वहीं अब ऐसी अनिवार्यता नहीं दिखी। सिर्फ मकबरा स्थल पर ही पुलिस का पहरा है।

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    आबूनगर रेडइया के मंदिर-मकबरा विवादित स्थल को जाने वाले जिन मार्गों पर 15 से 20 पुलिस कर्मी तैनात थे, बुधवार को यह मार्ग एकदम खाली रहे यहां पुलिस सिर्फ राउंड करती रही। यहां के स्थानीय वाशिंदों को तो आवाजाही में छूट दे दी गई है लेकिन अब भी विवादित स्थल में किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक है।

    इस इलाके से निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर पुलिस की नजर है और कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत कार्य के लिए जाता है पुलिस सिर्फ काम बताने पर आगे जाने की छूट दे रही है। हालांकि अब सामान्य लोग भी इस क्षेत्र में स्थित दफ्तरों में अपने निजी कार्यों के लिए जा सकते है। इंटरनेट मीडिया में तरह-तरह की अफवाहों व शासन पहुंची रिपोर्ट के लेकर अधिकारी की चिंता अब भी कम नहीं हुई है।

    अब कोर्ट से निकलेगा हल किसी को नहीं होगी दिक्कत

    -बुधवार को दैनिक जागरण की टीम ने आबूनगर रेडइया की बस्ती में घुसकर लोगों के मन की बात जानी। जो लोग अभी तक इस प्रकरण पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे, अब उनकी राय भी बाहर आ रही है। बस्ती क्षेत्र के अंदर रहने वाले जहूर, सलमान व मुस्ताक की राय है कि विवादित स्थल अब कोर्ट में जो भी फैसला होगा वही मान्य होगा। जबकि राजेंद्र, सीताराम व मनोज का कहना था कि मंदिर-मकबरा क्या है प्रशासन तय करे ताकि मुहल्ले में भाईचारा बनें रहे। कोर्ट से जो भी फैसला होगा सभी को मान्य होगा।

    स्कूल भेजे बच्चे, बाजार पहुंच खरीदारी

    यूं तो आबूनगर मुहल्ले में अधिकांश लोग नौ दिनों से अपने अपने घरों में ही कैद थे। अभिभावक डर-डर कर बच्चों को स्कूल भेज रहे थे। बुधवार को नजारा बिल्कुल सामान्य रहा। यहां अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजा, जबकि खुद घर से निकल कर बाजार पहुंचे और खरीदारी की। इस दौरान पुलिस बल भी ड्यूटी पर जरूर रहा, लेकिन वह सख्ती नहीं दिखाई जो बीते नौ दिनों से इस क्षेत्र में छाई थी।

    अफसर नहीं गए, लेकिन पल-पल की रखी खबर

    मंदिर-मकबरा विवाद में अब हालात सामान्य हो गए हैं, ऐसे में मकबरा स्थल पर अफसरों की चहलकदमी जरूर कम हो गयी है, लेकिन अब भी अफसर दिन में चार बार यहां ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों से हाल खबर ले रहे हैं और इंटरनेट मीडिया पर लगातार नजर रखी जा रही है ताकि किसी भी तरह की अफवाह फैलाने वाली पोस्ट पर कार्रवाई की जा सके।

    मंदिर-मकबरा विवाद भले ही आज सुर्खियों में है लेकिन असल में इसका मुकदमा 2014 से ही प्रक्रिया में है। जिस गाटा संख्या 753 में विवादित इमारत बनीं है, इस गाटा की संपूर्ण 11 बीघे भूमि के मालिक असोथर के राम नरेश थे। इन्हें 2012 में बेदखल करके जमीन मकबरा मंगी के नाम चढ़ा दी गयी थी। इसके खिलाफ राम नरेश सिंह के पुत्र विजय प्रताप सिंह सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां मुकदमा लड़ रहे हैं।

    पैनल तैयार करने की तैयारी

    अब मठ-मंदिर कमेटी, भाजपा और विश्व हिंदू परिषद द्वारा इस मुकदमे में पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार किया जा रहा है। आगामी 30 अगस्त को लगी सुनवाई में यह नया पैनल अपना पक्ष रखेगा, जबकि पहले से इस मुकदमे को अधिवक्ता रामजी सहाय लड़ रहे हैं। उधर मकबरा पक्ष के अनिल कुमार श्रीवास्तव पूर्व से अधिवक्ता हैं, मकबरा पक्ष की पैरवी कर रहे वर्तमान मुतवल्ली अबू हरेरा ने उनसे संपर्क कर मुकदमे की स्थिति के बारे में जानकारी ली है।