फाइलों में सिमटा कुलाबा, सुरक्षा समितियों का गठन
जागरण संवाददाता फतेहपुर नहरों की पटरियों की देखरेख के लिए बनने वाली कुलाबा सुरक्षा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : नहरों की पटरियों की देखरेख के लिए बनने वाली कुलाबा सुरक्षा समितियों भाजपा सरकार के साढ़े चार साल बीतने के बाद भी नही बन पाई हैं। इससे नहरों की पटरी पानी का बहाव बढ़ते ही फट जाती हैं और पानी भरने से किसानों की हजारों बीघे फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इस समिति के बनाने की घोषणा सरकार ने सत्ता में आते ही कर दिया था।
कुलाबा सुरक्षा समिति में प्रत्येक तीन किमी. में 11 सदस्यीय समिति बननी थी और इसी समिति के माध्यम से शासन के प्रस्तावित काम होने थे। इन समितियों का गठन प्रत्येक रजबहा और माइनर में होना था। कुल 12,128 समितियां बननी थीं। लेकिन अभी तक एक चौथाई रजबहा और माइनरों में ही समिति बन पाईं। अधिकारी नहीं चाहते बने सुरक्षा समिति
इस समिति के बनने के बाद नहरों की सिल्ट-सफाई से पटरियों के दुरुस्तीकरण का काम किसानों को मिलेगा और अधिकारियों का खेल खत्म हो जाएगा। इसीलिए अधिकारी नहीं चाहते कि कुलाबा सुरक्षा समिति बने। जबकि अधिकांश किसान चाहते हैं कि कुलाबा सुरक्षा समिति शीघ्र बनें। कुलाबा सुरक्षा समिति बननी है। इसका प्रस्ताव शासन में पड़ा हुआ है। जैसे ही बजट शासन से मिल जाएगा। कुलाबा सुरक्षा समिति का गठन करवा दिया जाएगा।
जीएन गुप्ता, नोडल अधिकारी सिचाई
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