होम्योपैथी से दूर की जा सकती है थायराइड की बीमारी
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होम्योपैथी से दूर की जा सकती है थायराइड की बीमारी
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद की तरफ कम ध्यान दे पाते हैं। जिस कारण वह लोग विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। जिस पर वह लोग दवाइयों पर निर्भर हो जाते हैं। इसी प्रकार एक समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वो है थायराइड। इस बीमारी का सफल इलाज होम्योपैथी में है।
सिविल अस्पताल लिंजीगंज की होम्योपैथिक की डा. रुचि शुक्ला ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हार्मोंस स्रवित होते हैं। टी-थ्री यानी त्रिआइडोथायरानिन और टी-फोर यानी थायराक्सिन मुख्य हार्मोन होते हैं। इन हार्मोंस को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्रवित थायराइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) नियंत्रित करता है। टी-थ्री और टी-फोर शरीर में मेटाबालिज्म को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने बताया कि इन हार्मोंस के अलावा केल्सिटानिन नामक हार्मोन भी स्त्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। थायराइड रोग कई प्रकार के हो सकते है। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है।
यह हैं थायराइड के लक्षण
- कब्ज होना।
- डिप्रेशन होना।
- शरीर का तापमान बढ़ना व कम होना।
- भूख ज्यादा लगना।
- हाथों में कंपन होना।
- पसीना ज्यादा आना।
- बाल सफ़ेद होना व झड़ना।
- थकान होना।
- चिड़चिड़ाहट होना।
- खुजली होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- नर्वस होना।
- धड़कन बढ़ना या कम होना।
- तेजी से वजन बढ़ना या कम होना।

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