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    रामनगरिया: कुंभ की पेशवाई व माघ माह की शोभायात्राओं में ही दिखते हैं नागा साधु

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 02 Feb 2022 07:30 PM (IST)

    जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद रामनगरिया मेले में महंतों के बुलावे पर आए नागा संतों के ठहर

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    रामनगरिया: कुंभ की पेशवाई व माघ माह की शोभायात्राओं में ही दिखते हैं नागा साधु

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : रामनगरिया मेले में महंतों के बुलावे पर आए नागा संतों के ठहरने के लिए क्षेत्र में अलग से व्यवस्था की गई है। वसंत पंचमी के गंगा स्नान के बाद इनकी विदाई शुरू हो जाएगी। पहले नागा संत कुंभ में ही दिखाई देते थे। कुछ वर्षों से रामनगरिया मेले में कल्पवास कर रहे महंतों के बुलावे पर आ रहे हैं। इसके बाद वह कहां जाते हैं इसकी जानकारी भी नहीं दी जाती। नागा संत अखाड़ों में और पहाड़ों पर गुफाओं में डेरा जमाते हैं।

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    शरीर पर भभूति लपेट कर निर्वस्त्र रहने वाले नागा साधु सार्वजनिक रूप से लोगों से बात भी नहीं करते। वह अपनी अलग ही धुन में रहते हैं। इन दिनों रामनगरिया मेले में नागा संतों का जमावड़ा है। दरअसल जूना अखाड़े से जुड़े कई महंत रामनगरिया मेले में कल्पवास कर रहे हैं। अखाड़े से जुड़े महंत मनोज भारती बब्बा गुरु के यहां रुके नागा संत महंत कृष्णा भारती व अरविद भारती धूनी के पास ही बैठे दिखाई देते हैं। बब्बा गुरु ने बताया कि वह लोग नागा संप्रदाय से हैं। नागा संत कुंभ के दौरान ही निकलने वाली पेशवाई में आते हैं। कुछ वर्षों से रामनगरिया मेले की शेभायात्राओं में नागा संत शामिल हो रहे हैं। कुंभ के बाद नागा संत कहां जाते हैं यह बताने की मनाही है। नागा संतों की असली जगह धूनी है। वह लोग सार्वजनिक तौर पर भक्तों से मिलते हैं, इस कारण बिना सिले हुए कपड़ों से शरीर को ढंकने की अनुमति हमारे गुरुओं ने मां गंगा से मांगी थी। पहाड़ों पर जाने के बाद वह लोग निर्वस्त्र ही रहते हैं। भजन-कीर्तन में तल्लीन साधु-संत

    संतों के अखाड़ों में इन दिनों भजन-कीर्तन, कथा-भागवत के आयोजन चल रहे हैं। मेला संत समिति के अध्यक्ष महंत सत्यगिरि के क्षेत्र में ढोलक, हारमोनियम व मंजीरे की धुन पर संत जहां भजन गाने में मस्त थे, वहीं हनुमान मंदिर भोलेपुर के महंत बाबा बालक दास के क्षेत्र में भंडारे का आयोजन था। भंडारे में खीर, पूड़ी-कचौड़ी, सब्जी परोसी गई। संतों को दक्षिणा देकर विदा किया गया। अन्य क्षेत्रों में भी पूजन अनुष्ठान के कार्यक्रम चलते रहे।

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