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    हमीरपुर के बाद फर्रुखाबाद के बाढ़ पीड़ितों का दर्द, भोजन में निकला मांस और हड्डी के टुकड़े

    By Vijay P Singh Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Sat, 16 Aug 2025 08:48 PM (IST)

    फर्रुखाबाद के बाढ़ प्रभावित गांव में भोजन वितरण को लेकर विवाद हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि जन्माष्टमी के व्रत के दिन वितरित भोजन में मांस और हड्डियों के टुकड़े मिले जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और उपवास भंग हो गया। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर लापरवाही का आरोप लगाया है और प्रशासन से जांच की मांग की है।

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    गांव राईपुर चिनहटपुर में बाढ़ पीड़ितों को दिए भोजन में मीट का टुकड़ा की जानकारी देते अवनीश कुमार। वीडियो ग्रैब

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। बाढ़ की विभीषिका से जूझने वाले पीड़ितों का दर्द प्रशासन की लापरवाही बढ़ा रही है। हमीरपुर के बाद फर्रुखाबाद में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। राहत के लिए दिए गए भोजन सेधर्म भ्रष्ट करने और व्रत खंडित करने का आरोप लगाया है।

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    फर्रुखाबाद जिले के कंपिल क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव राईपुर चिन्हटपुर में भोजन वितरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जानकारी के अनुसार शनिवार शाम को ग्राम प्रधान मोहम्मद शमी की ओर से बाढ़ पीड़ितों के बीच भोजन वितरित कराया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि जब उन्होंने भोजन ग्रहण किया तो चावलों में मांस और हड्डियों के टुकड़े मिले।

    ग्रामीण अवनीश कुमार, अहिलकार, रिंकू, पिंटू सहित कई लोगों ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन व्रत के दौरान भोजन में मांस मिलना धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ है। इस घटना से उनकी भावनाएं आहत हुईं और कई लोगों का उपवास भी भंग हो गया। ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह की लापरवाही न केवल असंवेदनशीलता है बल्कि धार्मिक माहौल को बिगाड़ने वाली भी है।

    गांववालों ने जब ग्राम प्रधान मोहम्मद शमी से शिकायत की तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि दो तरह की बिरयानी बनाई गई थी। संभव है कि धोखे से मांस वाला पैकेट बाढ़ पीड़ितों के पास पहुंच गया हो। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि यदि ऐसा भोजन मिला है तो उसे फेंक दें। हालांकि बाद में प्रधान ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं कोई भोजन वितरित नहीं कराया। उनके अनुसार रामपुर से कुछ लोग नाव लेकर आए थे और वही भोजन बांटकर चले गए। उन लोगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

    इस घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।

    लोगों का कहना है कि बाढ़ जैसी आपदा में मदद के नाम पर इस प्रकार की हरकत करना अस्वीकार्य है। धार्मिक पर्व पर मांसाहारी भोजन का वितरण करके उपवासियों की आस्था को ठेस पहुंचाई गई है। पीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन से जांच की मांग की है ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

    बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहले से ही लोग कठिनाई का सामना कर रहे हैं। ऐसे में भोजन वितरण में लापरवाही और संवेदनहीनता से उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेकर जांच करता है।

    हमीरपुर में बांट दिया था कूड़े गाड़ी से भोजन

    बता देंकि कुछ दिन पहले हमीरपुर में बाढ़ से कई घर तबाह हो गए थे और कई लोगों की गृहस्थी का सामान बाढ़ के पानी में बह गया था। दो अगस्त को नगर पंचायत की कूड़ा ढोने वाली गाड़ी में ईओ व चेयरमैन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को खाना वितरण किया गया था, जिसकी लोगों ने आलोचना की थी। वहीं 12 अगस्त को सड़े आलू वितरण किए जा रहे थे। हालांकि दोनों मामलों में कार्रवाई की गई थी।