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    चुनाव डेस्क के लिए) हर विधानसभा क्षेत्र में चल चुकी सपा की साइकिल

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    Updated: Thu, 19 Jan 2017 01:01 AM (IST)

    - गठन के बाद पहले चुनाव में सिर्फ कायमगंज में जीती थी सपा - 1996 से अमृतपुर/मोहम्मदाबाद में सा

    चुनाव डेस्क के लिए) हर विधानसभा क्षेत्र में चल चुकी सपा की साइकिल

    - गठन के बाद पहले चुनाव में सिर्फ कायमगंज में जीती थी सपा

    - 1996 से अमृतपुर/मोहम्मदाबाद में साइकिल को नहीं मिली चुनौती

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : समाजवादी पार्टी का गठन 1992 में हुआ था। वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में मुलायम ¨सह यादव के प्रत्याशी साइकिल पर सवार होकर चुनावी मैदान में उतरे थे। तब पहली बार सपा की साइकिल कायमगंज विधानसभा क्षेत्र में चली थी और प्रताप ¨सह यादव सपा के टिकट पर लखनऊ पहुंचे थे। बाकी तीन विधानसभा क्षेत्रों में कमल का फूल खिला था। इसके बाद जिले की चारों विधानसभा सीटों पर अब तक सपा की साइकिल चल चुकी है, एक रिपोर्ट समाजवादी पार्टी के जिले में सफर पर।

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    कायमगंज: यही वह विधानसभा क्षेत्र है जहां पर सपा के गठन के बाद पहली बार साइकिल ने रफ्तार भरी थी। तब इस विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने प्रताप ¨सह यादव को प्रत्याशी घोषित किया था। भाजपा के टिकट पर सुशील शाक्य मैदान में उतरे थे। दोनों के बीच करीबी मुकाबला हुआ, लेकिन मतगणना खत्म होते-होते सपा की जीत का अंतर बढ़ गया। प्रताप ¨सह यादव 35,558 वोट पाकर चुनाव जीते थे। 1996 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा का कमल खिल गया और सपा तीसरे स्थान पर लुढक गई थी। 2002 के चुनाव में भी सपा तीसरे स्थान पर रही थी। तब कांग्रेस की लुईस खुर्शीद विधायक बनी थी। 2007 के विधानसभा चुनाव में यहां से बसपा जीती थी और सपा की साइकिल चौथे स्थान पर रही थी। नए परिसीमन में यह सीट आरक्षित हो गई तो सपा की साइकिल पर सवार होकर अजीत कुमार लखनऊ पहुंचने में सफल रहे।

    अमृतपुर: परिसीमन से पहले तक यह विधानसभा क्षेत्र मोहम्मदाबाद के नाम से था। वर्ष 1993 में सपा यहां सफल नहीं हो पाई, लेकिन इसके बाद से सपा की रफ्तार पर कोई ब्रेक नहीं लगा सका। काग्रेस के टिकट पर 1985 और 1991 में विधायक रह चुके नरेंद्र ¨सह यादव 1996 में सपा की साइकिल पर सवार होकर मैदान में उतरे। इसके बाद से अब तक वह अजेय योद्धा हैं। 1996, 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र ¨सह साइकिल से लखनऊ तक पहुंचने में सफल रहे।

    फर्रुखाबाद: 1993 में यहां पहली बार सपा की साइकिल पर लाल बहादुर शाक्य मैदान में उतरे थे। भाजपा के कद्दावर नेता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी के आगे उनकी साइकिल नहीं चली। 1996 के चुनाव में सपा ने एक बार फिर लालबहादुर को ही प्रत्याशी बनाया। इस बार भी ब्रह्मदत्त के मुकाबले उनकी साइकिल की हवा निकल गई। 1997 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद उपचुनाव हुआ, लेकिन साइकिल को फिर निराशा ही हाथ लगी। 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां से राजकुमार ¨सह राठौर को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह 7200 वोट में ही सिमटकर रह गए। 2007 के विधानसभा चुनाव में विजय ¨सह सपा की साइकिल पर बैठे तो पहली बार यह सीट सपा की झोली में गई। चुनाव में बसपा को स्पष्ट बहुमत मिला तो विजय ¨सह इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में बसपा ने उन्हें मौका नहीं दिया। 2012 के चुनाव में यहां से सपा ने उर्मिला राजपूत को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह चौथे स्थान पर रहीं।

    भोजपुर: इस विधानसभा क्षेत्र का नाम परिसीमन से पहले कमालगंज हुआ करता था। 1993 के चुनाव में सपा ने यहां से अनवार खान को प्रत्याशी बनाया था। तब वह भाजपा की उर्मिला राजपूत से चुनाव हार गए थे। 1996 में सपा ने साइकिल की सवारी जमालुद्दीन सिद्दीकी को कराई तो वह लखनऊ जा पहुंचे। अगले चुनाव यानी 2002 में भी सपा इस सीट पर जीतने में सफल रही। 2007 में बसपा के सोशल इंजीनिय¨रग के फार्मूले ने यहां साइकिल की रफ्तार रोक दी। तब ताहिर हुसैन सिद्दीकी हाथी पर सवार होकर लखनऊ पहुंचे थे। 2012 के चुनाव में बाजी फिर पलटी। एक बार फिर सपा के जमालुद्दीन ने जीत दर्ज कराई।

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