सरकार की स्थानांतरण नीति पर अवध विवि में सवाल
स्थानांतरण नीति को ठेंगा 2018 से विवि में डटे हैं कुलसचिव. बेसिक शिक्षा विभाग में बीएसए सहित छह तो डीआइओएस कार्यालय में दस का हुआ स्थानांतरण

अयोध्या: बेसिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग में जिले स्तर पर कई अधिकारियों व कर्मचारियों का स्थानांतरण हो चुका है। सरकार की तीन वर्ष की नीति के अंतर्गत बेसिक शिक्षा विभाग में बीएसए सहित छह कर्मचारियों को अन्यत्र भेजा गया तो जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात 13 लिपिकों में से दस का दूसरे जिले में स्थानांतरण हुआ, लेकिन अवध विश्वविद्यालय में न तो स्थानांतरण नीति लागू हो सकी और न ही विवि के भीतर ही लिपिकों का पटल ही परिवर्तित हुआ। हालांकि विवि के वित्त अधिकारी की पोस्टिंग शासन ने कर रिक्त पद को जरूर भर दिया है।
अविवि में कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक का प्रभार चार वर्ष से डटे अधिकारी उमानाथ के पास है। उच्च शिक्षा विभाग ने इनका स्थानांतरण करना न तो उचित समझा और न ही कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक में से एक भी अधिकारी को यहां पोस्ट करने की जरूरत महसूस हुई। कुलसचिव उमानाथ जुलाई 2018 में बतौर डिप्टी रजिस्ट्रार के रूप में यहां आए। इसी वर्ष वह परीक्षा नियंत्रक बने। जुलाई 2020 में कुलसचिव का जिम्मा दिया गया। दोहरा प्रभार एक अधिकारी के पास होने से विवि का कामकाज प्रभावित हो रहा है। यहां तक कि नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद तत्कालीन कुलपति को त्यागपत्र भी देना पड़ा, लेकिन शासन ने यहां अधिकारी की पोस्टिग नहीं की। विवि के कुछ अन्य अधिकारी स्थानांतरण के पात्र हैं, पर यहां डटे हुए हैं। विवि के भीतर कई अधिकारियों के चहेते बाबुओं का वर्षों बाद भी पटल अपरिवर्तित है।
एबीवीपी के नेता शशांक कसौधन ने कहा कि पूरे मामले व परिस्थितियों से उच्च शिक्षा मंत्री को अवगत कराया जाएगा। साकेत महाविद्यालय के छात्रनेता अजय मिश्र ने भाजपा की स्थानांतरण नीति पर हमला बोला। कहा, यह पहली बार हुआ कि भ्रष्टाचार के आरोप में कुलपति को हटाया गया पर कुलसचिव को हटाने के बजाय दो पद का प्रभार दिया गया है।
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