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Sita-Ram Vivah Utsav in Ayodhya: विवाह के बाद चारों भाइयों ने छकी कलेवा, देर रात तक चली द्वार पूजा

Sita-Ram Vivah Utsav in Ayodhya रामनगरी अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में मंगलवार को देर शाम कुंवर कलेवा की रस्म के रूप में भगवान को छप्पन भोग अर्पित करने के साथ भंडारा आयोजित हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंगलवार को भी राम नगरी में डेरा जमाए दिखे।

By Jagran NewsEdited By: Umesh TiwariPublished: Tue, 29 Nov 2022 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 11:55 PM (IST)
Sita-Ram Vivah Utsav in Ayodhya: विवाह के बाद चारों भाइयों ने छकी कलेवा, देर रात तक चली द्वार पूजा
Sita-Ram Vivah Utsav in Ayodhya: मंगलवार सुबह से ही शुरू हुई कुंवर कलेवा की तैयारी।

अयोध्या, जेएनएन। राम बरात भ्रमण के बाद रामनगरी सोमवार को देर रात से लेकर मंगलवार तक सीताराम विवाहोत्सव के अन्य आयामों का निर्वहन करती हुई निहाल रही। सोमवार को देर रात बरात की वापसी के बाद परिणय सूत्र के अन्य सोपान संपन्न हुए। द्वार पूजा, पांव पूजन और सप्तपदी की रस्म के साथ आराध्य-आराध्या के विवाहोत्सव का अनुष्ठान पूर्णता की ओर अग्रसर हुआ। उत्सव के प्रत्येक चरण का निर्वहन आदर-अनुराग से हुआ।

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दशरथ महल बड़ा स्थान में करीब चार किलोमीटर का भ्रमण करने के बाद थके बराती तो यत्र-तत्र विश्राम करने लगे, किंतु चारों भाइयों सहित श्रीराम के स्वरूप को दशरथ महल पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य एवं उनके कृपा पात्र महंत रामभूषणदास कृपालु ने आदर के साथ आसन पर आसीन कराया। कृपालु के अनुसार उनके लिए यह श्री राम और उनके भाइयों तथा माता सीता के स्वरूप ही नहीं, साक्षात भगवान-भगवती हैं और सीताराम विवाहोत्सव का मूल आराध्य-आराध्या के प्रति शिखर का समर्पण है।

रंग महल में राम बरात के नेतृत्व से निवृत्त होते ही महंत रामशरण दास विवाहोत्सव की तैयारी में लग जाते हैं और अगले पल वह जगत जननी का कन्यादान कर रहे होते हैं। जानकी महल तो जनक-जानकी की नगरी के रूप में स्थापित ही है और यहां विवाह के संस्कार ठीक उसी प्रकार निभाने का प्रयास हो रहा होता है, जिस प्रकार युगों पूर्व श्रीराम के समय जनकपुर में हुआ होगा।

श्रीराम के दौर में लौटने का आभास लक्ष्मण किला में भी हो रहा होता है। यहां हनुमत निवास से करीब एक किलोमीटर का भ्रमण कर पहुंची राम बरात का जनकपुर की भूमिका में स्वागत किया गया और विवाह के संस्कार भी जनकपुर के लोकाचार का स्मरण कराने वाली थी। मंगलवार को कुंवर कलेवा की बारी थी। कुछ मंदिरों में ताजे व्यंजनों के साथ श्रीराम सहित चारों भाइयों के स्वरूप को बासी व्यंजन खिलाने की परंपरा का पालन किया गया।

वहीं दशरथमहल, रामवल्लभा कुंज, जानकी महल, रंगमहल, लक्ष्मण किला आदि प्रमुख मंदिरों में मंगलवार को देर शाम कुंवर कलेवा की रस्म के रूप में भगवान को छप्पन भोग अर्पित करने के साथ भंडारा आयोजित हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंगलवार को भी राम नगरी में डेरा जमाए दिखे। राम विवाह उत्सव में शामिल होने के लिए दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं में से अधिकांश कुंवर कलेवा के साथ उत्सव के समापन के बाद ही राम नगरी से लौटने को तैयार दिखे।


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