Move to Jagran APP

राम की नगरी अयोध्या की पुकार : 'बहुत कुछ' कहती हैं खामोश राम शिलाएं

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर जनमानस में किस कदर उत्साह है उसकी कहानी कई देशों सहित देश के तीन लाख गांवों से आई ईंटों का जखीरा भी कहता है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 01:24 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 01:26 PM (IST)
राम की नगरी अयोध्या की पुकार : 'बहुत कुछ' कहती हैं खामोश राम शिलाएं
राम की नगरी अयोध्या की पुकार : 'बहुत कुछ' कहती हैं खामोश राम शिलाएं

अयोध्या [रघुवरशरण]। भगवान राम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से समय सीमा तय करने के बाद अयोध्या में हलचल बढ़ गई है। मंदिर निर्माण कार्यशाला में भी गहमागहमी दिख जाती है।

loksabha election banner

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर जनमानस में किस कदर उत्साह है, उसकी कहानी कई देशों सहित देश के तीन लाख गांवों से आई ईंटों का जखीरा भी कहता है। राम शिलाएं कही जाने वाली ये ईंटें खामोश होकर भी मंदिर आंदोलन की व्यापकता बखूबी बयां कर रही हैं।

विश्व हिंदू  परिषद ने अक्टूबर 1984 में नए सिरे से मंदिर आंदोलन को धार देनी शुरू की थी। 1989 में देश भर में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए राम-शिला पूजन की योजना बनी। आंदोलन से पूरे देश को जोडऩे के लिए राम-शिलाएं गांव-गांव एकत्र की गईं और वहीं उनका विधि-विधान से पूजन कराकर राममंदिर की अलख जगाई गई।

40 दिन तक शिलापूजन का कार्यक्रम तीन लाख गांवों में चला। शिलाएं तो कुछ दिन में अयोध्या आ गईं, मगर इनके पूजन के नाम पर राम मंदिर आंदोलन गांव-गांव तक फैल गया। यही कारण रहा कि 30 अक्टूबर 1989 को राममंदिर के शिलान्यास सहित 30 अक्टूबर से दो नवंबर 1990 के कारसेवा कार्यक्रम को अपार जनसमर्थन मिला।

विवादित ढांचा के छह दिसंबर 1992 को ध्वंस के बाद शिखर पर पहुंची मंदिर आंदोलन की तेजी ठंडी पडऩे लगी और देश-विदेश से मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित राम-शिलाएं जहां की तहां जमा होकर रह गईं। इसमें इंग्लैंड, अमेरिका, हालैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों से आई राम-शिलाएं भी हैं।

मंदिर की नींव मजबूत करेंगी राम शिलाएं

शुरुआत के एक दशक तक इन शिलाओं को विवादित स्थल से कुछ ही फासले पर स्थित फकीरेराम मंदिर में रखा गया। 1998 में इन्हें रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला परिसर में स्थापित किया गया।

मंदिर के लिए तराशे जा रहे पत्थरों की आवाज के बीच राम-शिलाओं का जखीरा नींव की ईंट की तरह मौन और गंभीर नजर आता है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा कहते भी हैं कि इन शिलाओं को प्रस्तावित मंदिर की नींव में प्रयोग करने के साथ इन्हें मंदिर परिसर में ही धरोहर की तरह सहेजा जाएगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.