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    Deepotsav in Ayodhya: दीपोत्सव में चमका अवध विश्वविद्यालय का प्रबंधन, दो माह पहले शुरू की थी तैयारी

    By Rama Sharan AwasthiEdited By: Vikas Mishra
    Updated: Thu, 27 Oct 2022 08:45 AM (IST)

    Deepotsav in Ayodhya 22 हजार स्वयंसेवकों ने 15 लाख 76 हजार दीप जलाए जो गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड बन गया। इसका श्रेय योगी सरकार के साथ ही अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार सिंह के साथ ही उनके नोडल अधिकारी प्रो.अजय प्रताप सिंह को जाता है।

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    Deepotsav in Ayodhya: पीएम मोदी की उपस्थिति में रामनगरी के छठें दीपोत्सव ने वैश्विक फलक पर कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

    Deepotsav in Ayodhya: अयोध्या, जागरण संवाददाता। 14 वर्ष वनवास के पश्चात भगवान राम की अयोध्या वापसी का उल्लास तो सदियों से दीपावली के रूप में प्रतिष्ठित है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में आरंभ हुए दीपोत्सव को वैश्विक ख्याति मिली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में रामनगरी के छठें दीपोत्सव ने वैश्विक फलक पर नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। इसके साथ ही डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के प्रबंधन का सिक्का भी एक बार फिर से फलक पर दिखा।

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    यह छठा अवसर था, जब अवध विवि प्रशासन ने दीपोत्सव को मूर्त रूप दिया है। यह अब तक का सबसे भव्य दीपोत्सव रहा। 22 हजार स्वयंसेवकों ने 15 लाख 76 हजार दीप जलाए, जो गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड बन गया। इसका श्रेय योगी सरकार के साथ ही अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार सिंह के साथ ही उनके नोडल अधिकारी प्रो.अजय प्रताप सिंह को जाता है। प्रो. सिंह ने दो माह पूर्व से ही तैयारी शुरू दी थी। राम की पैड़ी पर घाटों के सज्जित किए जाने से लेकर दीपोत्सव में रिकार्ड बनने तक नोडल अधिकारी ने कई रातें सरयू तट पर व्यतीत कीं।

    ये जरूर है कि इस बार ऐतिहासिक रिकार्ड बनने के बाद 22 हजार स्वयंसेवकों के प्रतिनिधि अवध विवि प्रशासन को मंच पर स्थान नहीं दिया गया। इससे स्वयंसेवक मर्माहत हैं। स्वयंसेवक राम प्रकाश, अंजनी मौर्य, डीपी, सरिता, दिव्या, मोहिनी आदि कहते हैं कि कुलपति को प्रमाण पत्र ग्रहण करने वालों की कतार में होना चाहिए था, ऐसा न होने से मन को पीड़ा हुई।

    आठ गुना हुई दीपों की वृद्धि: दुनिया को रामराज्य की अवधारणा देने वाले भगवान राम की वन से वापसी का पर्व यूं तो पूर्व में भी मनाया जाता था, लेकिन दीपावली को सांस्कृतिक शिखर का स्पर्श वर्ष 2017 से तब से मिलना आरंभ हुआ, जब उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद रामनगरी में दीपोत्सव की शुरुआत हुई। प्रथम दीपोत्सव विश्व कीर्तिमान में अंकित नहीं हो सका।

    इसके बाद लगातार पांच बार यह उत्सव गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में अंकित हुआ। 17 लाख दीयों को सज्जित कर 22 हजार स्वयंसेवकों को नियंत्रित करने का अविवि का प्रबंधन प्रेरणायी होने के साथ सराहा जा रहा है। स्वयंसेवकों में आधी आबादी ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। छह वर्ष में घाटों पर सज्जित किए जाने वाले दीपों की संख्या साढ़े आठ गुना तक बढ़ गई।