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    अब हमारे प्राण प्रीतम प्यारे अलसाने लगे

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    Updated: Wed, 21 Aug 2013 12:07 AM (IST)

    फैजाबाद : 'अब हमारे प्राण प्रीतम प्यारे अलसाने लगे। छिनहिं छिन अंगड़ाइयां लै लै के जमुहाने लगे। चंचलाहट हट गई उत्पन्न भोरापन हुआ। नींद से माते नयन नव कंज सकुचाने लगे' मंगलवार को झूलनोत्सव का यह पद गाकर संत-महंतों ने रामवल्लभाकुंज में झूले पर विराजमान सीताराम भगवान को शयन कराया। नौ अगस्त से आरंभ झूलनोत्सव से झूले पर ही आरती-भोग व शयन के कारण संतों के आराध्य थक से गए हैं। संतों ने उपरोक्त पदों के माध्यम से अपने आराध्य के भाव को महसूस कर मन ही मन क्षमा मांगी। इस भावपूर्ण पदों ने उपस्थित श्रद्धालुओं के समूह को भाव विभोर कर दिया। मंदिर के मुख्य अर्चक रामाभिषेक दास की देखरेख में चली झूलनोत्सव की अंतिम संध्या में गायन-वादन के जरिए झूलनोत्सव को समृद्ध किया।

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    अशर्फी भवन में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य की देखरेख में भगवान लक्ष्मीनारायण का झूलनोत्सव आकर्षण का केंद्र रहा। विजय राघव मंदिर नई छावनी में स्वामी महावीर दास की देखरेख में भगवान श्रीराम के विराट स्वरूप का दर्शन कर श्रद्धालु मुग्ध हो रहे हैं। कनक भवन, दशरथ महल, रंगमहल, सियाराम किला, मणिराम दास जी की छावनी, राजगोपाल मंदिर, हनुमत सदन, हनुमत निवास, बधाई भवन सहित प्रमुख मंदिरों में झूलनोत्सव का आकर्षण श्रद्धालुओं को भाव विह्वल कर रहा था। बुधवार को झूलनोत्सव की अंतिम संध्या है। इस दिन कनक भवन सहित अधिकांश मंदिरों में यह उत्सव अलगे वर्ष तक के लिए विश्राम ले लेगा। दूसरी ओर कुछ मंदिरों में झूलनोत्सव अभी कुछ दिन और चलेगा। रसिक पीठ विअहुति भवन में भाद्र कृष्ण पक्ष पंचमी तक यह उत्सव चलेगा तो सद्गुरु सदन में इसी पक्ष की तीज तक। हनुमत निवास, हनुमत सदन व इस परंपरा के कुछ मंदिरों में अगले मंगलवार तक परंपरागत यह उत्सव चलेगा।

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