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    श्रीराम की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं मां देवकाली

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    Updated: Tue, 08 Oct 2013 12:21 AM (IST)

    फैजाबाद : भगवान श्रीराम की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित मां बड़ी देवकाली हजारों सालों से भक्तों की मनोकामनाओं को पूरी कर रही हैं। नवरात्र के दिनों में तो मंदिर में मेले जैसा दृश्य रहता है। मंदिर में मां महाकाली, मां महासरस्वती व मां महालक्ष्मी प्रतिमा के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के अवतरित होने पर माता कौशल्या उन्हें दर्शन कराने के लिए बड़ी देवकाली मंदिर लेकर आई थीं।

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    देवी भागवत के मुताबिक इस मंदिर व मां देवकाली की स्थापना भगवान श्रीराम के पूर्वज राजा सुदर्शन ने की थी। वर्ष 2003 में प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह समेत अन्य स्थानों पर पत्थर लगवाए और पोखर की सफाई कराई। पक्का पांच बीघा में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार श्रीश्री रविशंकर से पहले स्व. प्रताप सिंह ने कराया था। जीर्णोद्धार के मौके पर पोखर की सफाई गई, जिसमें पोखर में सात कुएं भी दिखाई दिए थे। मंदिर में मां देवकाली के अतिरिक्त, भगवान श्रीराम, भगवान शंकर, गणेश जी, मां अष्टभुजी, हनुमानजी, विष्णु जी, माता लक्ष्मी व शनि देव का मंदिर विद्यमान है। इतिहासकार डॉ. महेंद्र पाठक कहते हैं कि यह देवी भगवान श्रीराम की कुलदेवी मानी जाती हैं और इस हिसाब से यह मंदिर महज हजार साल ही नहीं बल्कि कई हजार साल पुराना है। अंग्रेजों ने इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में राजा दियरा को दे दिया और मौजूदा समय में रामलखन पाठक इस मंदिर के मुख्य अर्चक हैं।

    आरती का समय

    मां देवकाली मंदिर में सुबह चार बजे माता की आरती होती है। मंगला आरती के उपरांत शाम आठ बजे शयन आरती की जाती है। आरती में भारी संख्या में भक्तगण जुटते हैं। नवरात्र के साथ ही आम दिनों में भी इस मंदिर में भक्तों की भीड़ मौजूद रहती है।

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