रमणीयता की मिसाल है बिड़ला मंदिर का उद्यान
अयोध्या : बंदरों के उपद्रव की वजह से जहां रामनगरी की वन संपदा सिमटती जा रही है, वहीं ि ...और पढ़ें

अयोध्या : बंदरों के उपद्रव की वजह से जहां रामनगरी की वन संपदा सिमटती जा रही है, वहीं बिड़ला मंदिर का उद्यान रमणीयता की नजीर बना हुआ है। भीषण गर्मी में भी यहां की हरियाली बरबस विमोहित करती है। बिड़ला मंदिर के उद्यान की यह विरासत पांच दशक से अधिक पुरानी है। देश के शीर्ष औद्योगिक घराना बिड़ला समूह की ओर से रामनगरी की ह्रदयस्थली के करीब बिड़ला धर्मशाला की स्थापना 1965 में हुई और इसी के साथ ही धर्मशाला के चार बीघा का परिसर नयनाभिराम उद्यान के रूप में विकसित हुआ। तीन वर्ष बाद बिड़ला मंदिर की स्थापना हुई, तो आराध्य को केंद्र में पाकर धर्मशाला परिसर के उद्यान में चार-चांद लग गया। पौराणिक महत्व के क्षीरसागर सरोवर का तटवर्ती क्षेत्र होने के कारण पहले से ही पीपल-पाकड़ के कुछ प्राचीन वृक्ष उद्यान विकसित करने में निर्णायक सिद्ध हुए।
..तो बिड़ला मंदिर प्रबंधन ने उद्यान प्रतिष्ठित करने में पूरी शास्त्रीयता का परिचय दिया। वास्तु एवं ज्योतिष के हिसाब से किस दिशा में कौन सा वृक्ष होना चाहिए इसका पूरा ख्याल रखा गया। यदि पीपल, पाकड़, आम, आंवला, अशोक, जामुन आदि प्राचीन-पारंपरिक वृक्षों की प्रचुरता पंचवटी की झलक पेश करने वाली है, तो गुलाब, गुलदाउदी, सीता मंजरी, तुलसी, चांदनी, गुलमोहर आदि के सैकड़ों पौधों से सज्जित क्यारियां और हरियाली की छाप छोड़ते घास के अनेकानेक लॉन परिसर को आधुनिक तकनीक से विकसित किसी राजकीय उद्यान का गौरव प्रदान करते हैं। बिड़ला मंदिर परिसर के उद्यान का गौरव दशकों से प्रवाहमान है पर उस दौर में यह और कीमती हो गया है, जब वन संपदा का निरंतर ह्रास हो रहा है और रामनगरी में रही-सही कसर वंदरों के उपद्रव से पूरी हो रही है। ऐसे में बिड़ला मंदिर के उद्यान की प्रासंगिकता और प्रगाढ़ हो चली है। इसकी पुष्टि महज प्रकृति प्रेमी सौंदर्य शास्त्री से ही नहीं उद्यान में प्राय: डेरा जमाए श्रद्धालुओं से होती है, जो राह चलते उद्यान की सुंदरता, छांव और शीतलता का आस्वाद लेने इस ओर आ धमकते हैं। बिड़ला मंदिर एवं धर्मशाला के प्रबंधक पवन ¨सह कहते हैं, ऐसा नहीं है कि हमें बंदरों के उपद्रव का सामना नहीं करना पड़ता पर वे जितना उपद्रव करते हैं, उससे पांच गुना अधिक हम उद्यान का संरक्षण करते हैं।

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