.. एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
भरतकुंड (फैजाबाद): कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता/ एक पत्थर तो तबियत से उछ ...और पढ़ें

भरतकुंड (फैजाबाद): कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता/ एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। इन पंक्तियों की सच्चाई पर विश्वास न हो, तो रामकृष्ण पांडेय से मिलिए। वे उस नंदीग्राम के प्रधान हैं, जिसके दामन में पौराणिक भरतकुंड स्थित है। हालांकि कुंड का रकबा उनकी नुमाइंदगी के क्षेत्र में नहीं है। 1982 में ही विकास के नाम पर पर्यटन विभाग ने ग्राम पंचायत से कुंड का रकबा अपने नाम करा लिया। इसके बावजूद भरतकुंड के प्रति उनका समर्पण विकास कार्यों के रूप में रोशन हो रहा है। इसका चरम बुधवार को परिभाषित हुआ, जब पांडेय के संयोजन में जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने पवित्र सरोवर की नित्य आरती का आगाज किया एवं प्रधान की ओर से यात्रियों के लिए निर्मित शेड का उद्घाटन किया। दरअसल, भगवान राम के अनुज भरत के वैशिष्ट्य और उनकी विरासत के प्रति समर्पण भरतकुंड से बखूबी बयां होता है। युगों से भरत की विरासत का वाहक भरतकुंड पर्यटन की अपूर्व संभावनाओं से भी युक्त है। जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर फैजाबाद-इलाहाबाद मार्ग पर स्थित भरतकुंड पहली ही नजर में आकृष्ट करता है। मौजूदा दौर में जहां कुंडों में नाम मात्र तक पानी के लाले हैं, वहीं भरतकुंड स्वच्छ जल से लबालब है। भरतकुंड का परिसर 65 बीघा क्षेत्र में विस्तृत है। परिधि की पट्टी 20 बीघा क्षेत्र में है, जिस पर पक्का घाट के साथ वृक्षों की कतार लगी है। बाकी 45 बीघा में कुंड है। कुंड को यह शक्ल एक दिन में नहीं मिली है। सच तो यह है कि कई अन्य कुंडों की तरह भरतकुंड भी कृत्रिम जलस्त्रोत की बढ़ती उपयोगिता के आगे दम तोड़ रहा था। डेढ़ दशक पूर्व वे फैजाबाद के तत्कालीन डीआइजी आरएन ¨सह थे, जिन्होंने भरतकुंड को बचाने की मुहिम छेड़ी। तत्कालीन डीआइजी के प्रयास के साथ यह शायद त्याग और निष्काम प्रेम के प्रतीक भरत के प्रति लगाव था कि लोग उनकी मुहिम में सहज सहयोगी बने। जलकुंभी और अन्य प्रकार की गंदगी से पटे भरतकुंड की सफाई के लिए सैकड़ों लोग श्रमदान में शामिल हुए। यह क्रम करीब एक वर्ष तक पूरे बेग में चला और कुंड स्नान योग्य हो उठा। उनके स्थानांतरण के साथ भरतकुंड के प्रति तत्परता जरूर कुछ शिथिल पड़ी पर कुंड को गरिमा के अनुरूप सहेजने का संस्कार बचा रह गया। मौजूदा दशक में भरतकुंड सहेजने-संवारने की मुहिम नए सिरे से परवान चढ़ रही है। इस मुहिम में स्थानीय ग्राम प्रधान से लेकर कई समाजसेवी शामिल हैं। पांच वर्ष पूर्व फैजाबाद के जिलाधिकारी रहे विपिन कुमार द्विवेदी सहित रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास एवं नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास सरीखे संत इस मुहिम के प्रेरक बने। द्विवेदी ने मंडलायुक्त के तौर पर भी भरतकुंड का ख्याल रखा। तत्कालीन सांसद निर्मल खत्री एवं प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रहे तेजनारायण पांडेय पवन भी अपने-अपने स्तर से भरतकुंड संवारने में सहयोगी बने। निर्मल खत्री के प्रयास से केंद्र की तत्कालीन सरकार ने चार करोड़ 51 लाख की राशि से भरतकुंड को संवारने का प्रयास किया। कार्ययोजना में कुछ कमियां रह गईं और काम होते-हाते नई सरकार आ गई। इसके बावजूद लाल पत्थर से आच्छादित सरोवर के घाट, निरंतर और समुचित जलभराव के लिए बो¨रग की व्यवस्था तथा कुंड के परिसर को पुष्ट बाउंड्रीवाल से घेरने का प्रयास किया गया। हालांकि 65 बीघा के परिसर की बाउंड्रीवाल का निर्माण अधूरा रह गया है। तीन स्थानों पर करीब 50-50 फीट तक निर्माण नहीं किया गया है। ऐसे में बाउंड्रीवाल की उपयोगिता नहीं सुनिश्चित हो पा रही है। ऐसा हो जाने पर न केवल कुंड का विशाल प्रांगण एकसूत्र में आबद्ध होगा बल्कि मवेशियों से कुंड की वन संपदा भी संरक्षित हो सकेगी।
पर्यटन विभाग वापस करे भूमि: पांडेय
नंदीग्राम के प्रधान रामकृष्ण पांडेय भरतकुंड को प्रतिष्ठापित करने का स्वप्न संजो रहे हैं। पांडेय कहते हैं, विभाग वादे पर खरा नहीं उतर सका और उसे कुंड का परिसर ग्रामसभा को वापस का देना चाहिए। ग्रामप्रधान ने ग्राम पंचायत की ओर से वहां यात्रियों एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए निर्माण करा रखा है और बुधवार से नित्य आरती का क्रम शुरू किया। प्रधान की परिकल्पना है कि भरतकुंड को भव्य पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय।
गढ़ा जा रहा भविष्य का शिल्प
भरत तपोभूमि नंदी ग्राम सेवा ट्रस्ट भी भरतकुंड के भविष्य का शिल्प गढ़ रहा है। समिति से जुड़े लोग गत कई वर्ष से सालाना सांस्कृतिक जलसा से अपनी आस्था का परिचय दे रहे हैं। कुंड के संरक्षण में कुछ चु¨नदा स्थानीय लोगों के साथ सांस्कृतिक संरक्षण के लिए प्रयास करते रहे महंत रामदास भी शामिल हैं।
कुंड के लिए बेहतर कल की चाहत
कुंड के ही तट पर स्थित संस्कृत विद्यालय में शिक्षक राधेश्याम शुक्ल को शिकायत है कि कुंड से न्याय नहीं हो पा रहा है और इस दिशा में प्रदेश की योगी सरकार को आगे आना चाहिए। कुंड संवारने की मुहिम में शामिल डॉ. रामप्रताप यादव के अनुसार भरतकुंड की महिमा न्यारी है और इसे सहेजने के लिए सरकारों एवं संस्थाओं को आगे आना होगा। स्थानीय निवासी राजेंद्र पांडेय कहते हैं, कुछ पल चैन से बैठने को भरतकुंड से अच्छी कोई जगह नहीं पर यहां बुनियादी सुविधाएं ही नहीं सुनिश्चित हो पा रही हैं। पूर्व प्रधान रामकुमार पांडेय एवं रामदयाल पांडेय मौजूदा प्रधान के प्रयासों को जायज ठहराकर ग्राम पंचायत जैसी स्थानीय संस्था को कुंड के देख-रेख का जिम्मा दिए जाने की वकालत करते हैं।

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