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    Ayodhya Ram Temple News: राम की तरह खरी है उनकी जन्मभूमि की मिट्टी

    By Divyansh RastogiEdited By:
    Updated: Mon, 03 Aug 2020 10:39 AM (IST)

    Ayodhya Ram Temple मंदिर निर्माण के पूर्व फाउंडेशन की मिट्टी का प्रतिष्ठित लैब में कराया परीक्षण। पांच एकड़ भूमि के 14 स्थलों से 60 मीटर नीचे तक की मिट्टी के एकत्र किये थे नमूने।

    Ayodhya Ram Temple News: राम की तरह खरी है उनकी जन्मभूमि की मिट्टी

    अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। Ayodhya Ram Temple News: भगवान राम की ही तरह उनकी जन्मभूमि की मिट्टी भी सर्वगुण सम्पन्न है। मंदिर निर्माण आरंभ होने के पूर्व श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गर्भगृह और उसके आसपास की भूमि का परीक्षण कराया, तो वहां की मिट्टी निर्माण की सभी कसौटियों पर शत-प्रतिशत खरी उतरी। यह परीक्षण नोएडा स्थित सेंजर्स नामक प्रतिष्ठित लैब में किया गया। 

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    रामलला के गर्भगृह सहित पांच एकड़ में विस्तृत प्रस्तावित मंदिर के संपूर्ण प्रतिष्ठान की भूमि से परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने लिए गए थे। इस परिक्षेत्र में 14 जगहों से ली गई मिट्टी 20 से 60 मीटर नीचे तक की है। परीक्षण के पीछे का मकसद स्पष्ट है। वह यह कि रामजन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर कालजयी हो, उसे ऐसी नींव एवं आधार उपलब्ध हो कि हजारों वर्ष तक मौसम की मार उसे टस से मस न कर सके। भव्यतम मंदिर निर्माण से पूर्व सबसे बड़ी आशंका यही थी कि मंदिर में लगने वाले लाखों टन पत्थर क्या रामजन्मभूमि की मिट्टी बर्दाश्त कर पाएगी। अब परीक्षण का परिणाम आने के साथ प्रतीत होने लगा है कि रामजन्मभूमि की मिट्टी को जैसे भव्यतम मंदिर के रूप में टनों शिलाओं को अपने दामन में समेटने का इंतजार था। 

    परीक्षण के दौरान यह अध्ययन किया गया कि यह मिट्टी निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पानी, सीमेंट, शिलाओं और कंक्रीट के साथ कैसा संयोग बनाएगी और भूकंप आने पर इस मिट्टी का व्यवहार कैसा होगा। सेंजर्स के विज्ञानियों ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि हजारों वर्ष तक यहां की मिट्टी ज्यों की त्यों बनी रहेगी। यहां की मिट्टी के परीक्षण में वे सभी गुण पाए गए जो मंदिर को हजार साल से भी ज्यादा समय तक अक्षुण रख सकते हैं।

    सतह से दौ सौ फीट नीचे तक होगी पाइलिंग

    रामजन्मभूमि की मिट्टी का परीक्षण किये जाने के साथ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि राम मंदिर की नींव बहुत मजबूत हो और इसके लिए पाइलिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा। इस सिस्टम के तहत नींव में बेहद हैवी फोर्स के साथ कंक्रीट या पत्थर डाले जाते हैं। राम मंदिर के लिए जिस गहराई तक पाइलिंग होगी, वह सतह से दो सौ फीट नीचे है।