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अयोध्या: महंत कृष्णकांतचार्य पर महिला ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज

आध्यात्मिक ज्ञान लेने आई थी महिला। महंत पर दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 03:22 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 03:22 PM (IST)
अयोध्या: महंत कृष्णकांतचार्य पर महिला ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज
अयोध्या: महंत कृष्णकांतचार्य पर महिला ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज

अयोध्या, जेएनएन। आध्यात्मिक ज्ञान लेने आई एक महिला के साथ दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया है। महिला ने लक्ष्मणघाट इलाके के एक प्रतिष्ठित मंदिर के महंत पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। पुलिस ने महिला की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपी महंत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। महिला मुगलसराय जिले की रहने वाली है। आरोपी महंत पर कार्रवाई के बाद पुलिस अब दोनों पक्षों का इतिहास खंगाल रही है। 

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महिला गत 24 दिसंबर से महंत कृष्णकांताचार्य के मंदिर में रह रही थी। अयोध्या कोतवाल जगदीश उपाध्याय का कहना है कि सोमवार की देर रात वारदात की सूचना पाकर पुलिस टीम मंदिर पहुंची और महिला को मुक्त कराया। महिला का कहना है कि वह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अयोध्या आई थी। महिला अपने परिवार से अलग रहती है। पीडि़ता का आरोप है कि महंत ने 26 से लेकर 29 दिसंबर तक लगातार उसके साथ दुष्कर्म किया। 30 दिसंबर पीडि़ता ने मंदिर से भागने का प्रयास किया तो उसे महंत ने एक कमरे में बंद कर दिया। महिला को महंत के चंगुल से मुक्त कराकर मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है। आरोपी महंत के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर जेल दिया गया है। महंत कृष्णकांताचार्य करीब ढाई दशक से उस मंदिर के महंत हैं, जहां वारदात हुई। महंत की आयु 55 वर्ष तथा महिला की आयु 40 वर्ष के करीब है। 

दुष्कर्म के आरोपी महंत भरी-पूरी विरासत के संवाहक
मंदिर में आई महिला श्रद्धालु से दुष्कर्म के आरोपी महंत कृष्णकांताचार्य भरी-पूरी आध्यात्मिक विरासत के संवाहक रहे हैं। करीब 55 वर्षीय कृष्णकांताचार्य रामकी पैड़ी तट पर स्थित उस चंद्रहरि मंदिर के महंत हैं, जिसकी गणना रामनगरी की पौराणिक महत्ता वाले सप्तहरियों में से एक के रूप में होती है। वे बेहद जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुच चुकी इस पुरातन पीठ का कायाकल्प कराने के प्रयास में लगे रहे और अपने प्रयास में कुछ हद तक कामयाब भी रहे हैं। उनकी गणना संस्कृतज्ञ आचार्य में होती है। रामानुजीय परंपरा की शीर्ष पीठ कोसलेशसदन के पीठाधिपति रहे जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रामनारायणाचार्य से दीक्षित कृष्णकांताचार्य को लोग संभावनाशील साधु के तौर पर देखते रहे हैं। गौर वर्ण, लंबी-छरहरी काया, लंबी दाढ़ी और प्रांजल-परिष्कृत संवाद से वे सामने वाले को आसानी से प्रभावित करते रहे हैं। कृष्णकांताचार्य का दुष्कर्म के मामले में आरोपित होना संतों को चौंकाने वाला रहा है। उनके कृत्य की ङ्क्षनदा करने वालों से कहीं अधिक यह अचरज जताने वालों का बाहुल्य है कि उन जैसे संत ने किन स्थितियों में यह अपराध किया।


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