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    Ram Madir: राम मंदिर के भूतल का 80 प्रतिशत कार्य पूरा, छह माह बाद गर्भगृह में व‍िराजेंगे रामलला

    राजा राम की नगरी अयोध्‍या में द‍िव्‍य और भव्‍य राम मंद‍िर के भूतल का 80 प्रत‍िशत कार्य पूरा हो चुका है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व अंतिम स्पर्श दिया जा रहा है। लेक‍िन गर्भगृह में रामलला की स्थापना के ल‍िए अभी भक्‍तों को छह माह का इंतजार और करना पड़ेगा। जनवरी में रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंद‍िर के गर्भगृह में व‍िराजेंगे।

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Wed, 02 Aug 2023 08:24 AM (IST)
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    Ram Madir: पूर्णता की ओर राम मंद‍िर का न‍िर्माण

    अयोध्या, [रघुवरशरण]। तीन तल के राम मंदिर का निर्माण तो 2025 तक पूर्ण होगा, किंतु निर्माणाधीन मंदिर के भूतल का 80 प्रतिशत निर्माण हो चुका है। अगले वर्ष 24 जनवरी तक भूतल पर ही निर्मित गर्भगृह में रामलला की स्थापना होनी है। भूतल का ढांचा तो जून के अंतिम सप्ताह तक ही खड़ा हो गया था। भूतल की छत की शिला संयोजित किए जाने के साथ गत माह से ही यदि एक ओर प्रथम तल की भी शिलाओं का संयोजन शुरू हो चुका है, तो भूतल को अंतिम स्पर्श दिए जाने का भी अभियान पूरी तत्परता से आगे बढ़ रहा है।

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    राम मंदिर में तीनों तल पर कुल 392 स्तंभ प्रयुक्त होने हैं और प्रत्येक स्तंभ पर शुभता, कला एवं भव्यता की पर्याय यक्ष-यक्षिणियों तथा कुछ चुनिंदा देवी-देवताओं की मूर्तियां उत्कीर्ण की जानी हैं। भूतल में 166 स्तंभ प्रयुक्त हुए हैं और अपनी जगह पर स्थापित होने के बाद से इन स्तंभों पर मूर्तियां उत्कीर्ण किए जाने का काम चल रहा है। अभी यह काम शुरुआती दौर में है, किंतु दो सौ से अधिक विशेषज्ञ शिल्पियों के प्रयास से नवंबर तक भूतल के सभी स्तंभों को मूर्तियों से युक्त किए जाने की योजना है।

    भूतल की फर्श की निर्माण योजना को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसी माह फर्श निर्माण भी शुरू किए जाने की तैयारी है। यद्यपि रामलला की स्थापना के लिए इतना ही काम पर्याप्त नहीं है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अनुमान है कि नवनिर्मित मंदिर में स्थापना के बाद रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या प्रतिदिन एक लाख के आसपास होगी और स्थापना के अवसर पर यह संख्या पांच लाख तक हो सकती है।

    ऐसे में श्रद्धालुओं के आवागमन का व्यापक प्रबंध भी सुनिश्चित किया जाना ट्रस्ट की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसी क्रम में रविवार से दर्शनार्थियों के लिए नवनिर्मित रामजन्मभूमि मार्ग का लोकार्पण भी किया जा चुका है। यह अवसर मंदिर निर्माण के रूप में करीब पांच सदी की चिर साध पूर्ण होने का पूर्वाभास कराने वाला भी था। भले ही नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा के लिए श्रद्धालुओं को साढ़े पांच माह प्रतीक्षा करनी हो, किंतु नवनिर्मित पथ से वैकल्पिक गर्भगृह में विराजे रामलला की ओर बढ़ते हुए दर्शनार्थियों का उल्लास संभाले नहीं संभल रहा था।

    आराध्य की राह पर अपूर्व तुष्टि का भाव लिए श्रद्धालु गगनचुंबी जयकारा लगा ही रहे थे, कुछ सुध-बुध खोकर नृत्य करते हुए आगे बढ़ रहे थे। यद्यपि रामलला के दर्शन मार्ग को पूर्णता देने के लिए अभी और कसरत करनी है। निर्माण नियोजन से जुड़ी व्यवस्था के चलते रामजन्मभूमि पथ का लोकार्पण तो किया गया, किंतु उसे अपेक्षित और उन्नत सुविधा तथा सौंदर्य से युक्त किए जाने में कुछ और समय लगेगा। हनुमानगढ़ी एवं दशरथमहल के सामने से पारंपरिक दर्शन मार्ग को भक्ति पथ के रूप में विकसित किए जाने का भी कार्य इसी वर्ष के अंत तक पूर्ण किया जाना है।

    अक्टूबर तक तैयार होगी रामलला की मूर्ति

    मंदिर निर्माण और रामलला की प्रतिष्ठा की दिशा में बढ़ने के लिए रामलला की मूर्ति सर्वाधिक अहम है। गरिमा के अनुरूप रामलला की मूर्ति निर्माण की योजना को अंतिम रूप देने के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को इस वर्ष की शुरुआत से बहुत विकल्पों पर विचार करना पड़ा, किंतु अब न केवल विकल्पों का अंतिम रूप से चुनाव किया जा चुका है, बल्कि रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित की जा रही हैं और अक्टूबर तक उनका निर्माण पूर्ण होना है। इनमें से जो श्रेष्ठतम होगी, उसे गर्भगृह में स्थापना के लिए चुना जाएगा।

    पवित्र नदियों का जल रामलला को अर्पित

    दक्षिण भारत की पवित्र नदी पोत्रामरई, महामहम एवं कावेरी का जल मंगलवार को रामलला को अर्पित किया गया। हिंदू महासभा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रमेश बाबू के नेतृत्व में आये प्रतिनिधिमंडल ने रामजन्मभूमि पहुंच यह जल रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. अनिल मिश्र को भेंट किया। रमेश बाबू ने अपेक्षा जताई कि तीन कलश में रखा यह जल रामलला की पूजा में प्रयुक्त किया जाय।