गुरुग्रंथ साहब में 5500 बार है राम नाम का जिक्र
अयोध्या : भगवान राम की महिमा सिख परंपरा में भी बखूबी विवेचित है। सिखों के प्रधान ग्रंथ गुरुग्रंथ
अयोध्या : भगवान राम की महिमा सिख परंपरा में भी बखूबी विवेचित है। सिखों के प्रधान ग्रंथ गुरुग्रंथ साहब में साढ़े पांच हजार बार भगवान राम के नाम का जिक्र मिलता है। दशम गुरु गो¨वद ¨सह ने तो दशमग्रंथ में रामावतार के नाम से एक परिपूर्ण सर्ग की ही रचना कर रखी है। सिख परंपरा में भगवान राम से जुड़ी विरासत रामनगरी में ही स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड में पूरी शिद्दत से प्रवाहमान है। गुरुद्वारा में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी राम जन्मोत्सव मनाए जाने की तैयारी है। पूर्वाह्न अरदास-कीर्तन के साथ भगवान राम पर केंद्रित गोष्ठी एवं मध्याह्न भंडारा प्रस्तावित है। गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत ¨सह के अनुसार सिख परंपरा में घट-घट व्यापी राम के साथ दशरथनंदन राम की भी प्रतिष्ठा है और यह लगाव मात्र वैचारिक अथवा दार्शनिक होने के साथ अनुवांशिकी के स्तर पर भी है।
मुख्यग्रंथी की मानें, तो भगवान राम सिखों के डीएनए में शामिल हैं। वे याद दिलाते हैं कि प्रथम सिख गुरु नानकदेव जिस वेदी कुल के दीपक थे, उसकी जड़ें भगवान राम के पुत्र लव से जुड़ती हैं और दशम गुरु गो¨वद ¨सह जिस सोढ़ी कुल के नरनाहर थे, उसकी जड़ें भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश से जुड़ती हैं। मुख्यग्रंथी के अनुसार रामजन्मभूमि मुक्ति के संघर्ष से भी सिखों का भगवान राम से जुड़ाव परिपुष्ट है। उनका दावा है कि गुरु गो¨वद ¨सह से लेकर ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा के पूर्व महंत गुलाब ¨सह, शत्रुजीत ¨सह एवं नारायण ¨सह जैसी विभूतियों ने रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए बराबर प्रयास किया। अर¨वद दर्शन के मर्मज्ञ जय ¨सह के चौहान के अनुसार सिखों में वीरता एवं विनम्रता का समंवित योग उन्हें भगवान राम का बरबस वंशज सिद्ध करता है।