कलयुग में मां दुर्गा की आराधना ही सर्वोपरि
फैजाबाद: मां भगवती दुर्गा जी की आराधना ही कलयुग में सर्वोपरि है अर्थात कलौ चंडी विनायकौ। अलग-अलग देव
फैजाबाद: मां भगवती दुर्गा जी की आराधना ही कलयुग में सर्वोपरि है अर्थात कलौ चंडी विनायकौ। अलग-अलग देवताओं की आराधना से जीव को अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। जैसे-भगवान देवराज इंद्र की आराधना से ऐश्वर्य, पृथ्वी की आराधना से सम्पन्नता, कुबेर की आराधना से दरिद्रता का अंत, वरूणदेव की आराधना से दु:खों का अंत, ब्रह्म की आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कलिकाल में समस्त देवताओं की आराधना कर पाना कठिन कार्य है, ¨कतु एकमात्र मां भगवती की आराधना से सब कुछ संभव है। यह अकेले ही समस्त जीवों के दरिद्र, दु:ख, भय आदि का एक साथ हरण कर लेती है। उक्त उद्गार श्री दुर्गा अध्यात्मिक शक्ति पीठ नंदापुर में चल रही शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन कथाव्यास पंडित राजनरायण तिवारी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि शक्ति के बगैर कुछ भी संभव नहीं है यथा कोई भी चाहे जिसका उपासक हो ¨कतु वृद्धावस्था आने पर कोई जीव यह नहीं कहता कि अमुक व्यक्ति विष्णु, शिव या हनुमान जी की शक्ति से विहीन हो गया अपितु हर व्यक्ति यह कहता है कि व्यक्ति शक्तिहीन हो गया। शक्ति की आराधना रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए स्वयं भगवान राम ने की, सृष्टि के रचयिता परमपिता भगवान ब्रह्मदेव, सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु एवं संहारकर्ता भगवान शिव ने किया।
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