सैद्धांतिक धरातल पर देश नहीं हुआ स्वतंत्र: शंकराचार्य
अयोध्या: व्यास पीठ एवं शासन तंत्र को परस्पर समन्वित करने की आवश्यकता है। उसी प्रकार जैसे भृगु एवं प
अयोध्या: व्यास पीठ एवं शासन तंत्र को परस्पर समन्वित करने की आवश्यकता है। उसी प्रकार जैसे भृगु एवं पृथु, वशिष्ठ और राम, चाणक्य एवं चंद्रगुप्त, समर्थ गुरु रामदास एवं शिवाजी के जीवन से व्यासपीठ और शासन तंत्र में सुंदर सामंजस्य दिखाई पड़ता है। भविष्य में यदि ऐसा संभव हुआ, तो भारत को कोई भी ताकत विश्व गुरु बनने से नहीं रोक सकती और भारत वेदों के पारंपरिक ज्ञान-विज्ञान से दुनिया में अग्रणी होगा।
यह उद्गार हैं, पुरी के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी शंकराचार्य के। रामनगरी की तीन दिवसीय यात्रा पर आए पुरी के शंकराचार्य विद्याकुंड स्थित परमहंस महाविद्यालय के अशोक ¨सहल प्रेक्षागृह में कुछ चु¨नदा सवालों के जवाब दे रहे थे। नाका हनुमानगढ़ी के प्रशासक पुजारी रामदास की ओर से प्रस्तुत सवाल के जवाब में पुरी पीठाधीश्वर ने कहा, दर्शन, विज्ञान, व्यवहार आदि के क्षेत्र में सनातन आर्य परंपरा उत्कृष्ट है। आज वेदविहीन विज्ञान के चलते विकास के गर्भ से विस्फोट हो रहा है। वास्तविकता यह है कि सैद्धांतिक धरातल पर भारत स्वतंत्र हुआ ही नहीं और इसके पीछे अंग्रेजों की कुटिल नीति थी। वे दुनिया भर में अपने कारोबार की विफलता से भारत से अपना बोरिया-बिस्तर समेटने को विवश हुए पर साजिश रचकर उन्होंने भारत को मानसिक रूप से गुलाम बनाकर छोड़ दिया। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में शंकराचार्य ने कहा, यदि हमारे यहां क्षात्र धर्म सुरक्षित होता और व्यास पीठ दिग्भ्रमित न होती तो कोई भी हमें कुचलने का साहस नहीं कर सकता था। उन्होंने इशारों में ही जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सनातनी परंपरा का प्रतिनिधि बताकर संतोष जताया, वहीं शासन तंत्र को तपोबल से परिष्कृत करने का सुझाव भी दिया और याद दिलाया कि नारद एवं शंकराचार्य को कौन सा शासकीय सहयोग प्राप्त हुआ था पर उन्होंने अपने तपोबल से वैदिक सत्य-तथ्य को प्रतिष्ठापित किया। शंकराचार्य ने वैदिक परंपरा के ²ढ़ता से अनुगमन की सीख देते हुए इस रास्ते पर चलकर आतंकवाद से भी मुकाबिल होने का सूत्र बताया और कहा कि आज के आतंकवादियों की वैदिक युग के आतंकवादी रावण, हिरण्यकशिपु, कंस और दुर्योधन के सामने क्या बिसात है। शंकराचार्य से सवाल पूछने वालों में प्रतिष्ठित पीठ रंगमहल मंदिर के महंत रामशरणदास के कृपापात्र एवं युवा भागवत कथा मर्मज्ञ आचार्य ब्रह्मानंद एवं महामंडलेश्वर गिरीशदास प्रमुख रहे। इससे पूर्व महाविद्यालय के प्रबंधक ऋषिकेश उपाध्याय के संयोजन में शंकराचार्य का वैदिक परंपरा के अनुरूप पूरे विधि-विधान से स्वागत किया गया। इस मौके पर महंत रामशरणदास, कृषि वैज्ञानिक डॉ. विक्रमाप्रसाद पांडेय, ब्रह्मचारी ¨वदेश्वरीप्रसाद शुक्ल, जिला भाजपाध्यक्ष अवधेश पांडेय बादल, जिला मंत्री परमानंद मिश्र, महंत मनमोहनदास, अमित ¨सह सोनी, अशोक ¨सह, डॉ. शीलवंत ¨सह, रणजीत ¨सह, डॉ. सचिन दुबे, युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अखंड ¨सह ¨डपल आदि सहित सैकड़ों छात्र एवं अध्यापक मौजूद रहे।
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