वैश वंशीय ठाकुरों की कुलदेवी मां चंडी
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पटियाली, (कासगंज): गंगा नदी के किनारे थाना सिकंदरपुर वैश्य के नरदोली ग्राम का इतिहास चंडी देवी के मंदिर से जुड़ा हुआ है, जहां हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा को वैश वंशीय ठाकुरों की अगुवाई में सभी जातिया दूध की धार लगाकर गाव की परिक्रमा करती है। मंदिर पर श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामनाएं लेकर चुनरी व घटा चढ़ाने का सदियों पुराना प्रचलन है।
कहावत है कि नरदोली गाव के वैश वंशीय ठाकुर सदियों पूर्व उन्नाव के पूरवा गाव से आकर यहां बस गए थे। गाव में महामारी फैलने पर कुलदेवी चंडी मा ने एक समय में अलग-अलग ग्रामवासियों को सपना दिया कि उन्हें रथ में बिठाकर गाव से ले चलो, सभी जातियो के लोग उनके पीछे-पीछे चलें जहा भी मेरे रथ का पहिया धंस जाए उसी जगह उन्हें स्थापित कर दिया जाए। देवी स्थापना के बाद उसके इर्द-गिर्द गाव बसाकर रहने से उनके दुख-दर्द दूर होंगे।
बताया गया है कि सपना साकार करने से उद्देश्य से वैश वंशीय ठाकुर चंडीदेवी को लेकर चल दिए। गंगा नदी किनारे नरदोली गंाव के निकट पूर्व दिशा में रथ का पहिया धंस जाने पर ऊंचे टीले पर मां चंडी की स्थापना कर दी गई। हालांकि उस समय पाश्र्र्व में रहने वाली जंगली जातियों से ठाकुर जातियों का युद्ध हुआ। जंगली जातियों को मारकर कुओं में डाला गया जिनके अस्थिपंजर खुदाई के दौरान आज भी उक्त क्षेत्र में मिल जाते हैं।
गाव की खुशहाली के लिए वैश वंशीय ठाकुरों के मौजूदा परिजन श्याम सिंह ठाकुर दूध का कलश लेकर धार लगाते हुए गांव की परिक्रमा करते हैं। सभी जातियों के लोग कलश से दूध डालते चलते हैं, दूध का आदान-प्रदान करने का जिम्मा धीमर जाति के रामपाल सिंह को दिया गया है। सदियों पुराना चलन आज भी बदस्तूर जारी है। वर्ष में श्याम सिंह के परिवार के किसी सदस्य को देवी मा द्वारा सपना देने पर अलग से दूध की धार लगाने का प्रचलन है।
चंडीदेवी के निकट नदिया देवी का मंदिर
पटियाली : लगभग 15 वर्ष पूर्व चंडीदेवी मंदिर पर लालबाबा द्वारा 108 कुंडीय यज्ञ के दौरान मंदिर के पाश्र्र्व में गंगा नदी के खादर में ग्रामवासियों को पत्थर की मूर्ति मिली, जिसकी स्थापना कर नादिया देवी का मंदिर बना दिया गया। यह मंदिर हजारों श्रद्धालुओं ने चंडीदेवी मंदिर के निकट बनाया है। यहा श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं।
डाकुओं ने भी मंदिर पर चढ़ाए घटे
पटियाली : गंगानदी के किनारे कटरी क्षेत्र के ग्राम नरदोली के सुनसान इलाके में स्थापित सदियों पुराने चंडीदेवी मंदिर पर डाकू भी श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना कर अपने कार्य पूर्ण होने पर घटा आदि चढ़ाते हैं।
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