'स्वामी प्रसाद को इलाज के लिए आगरा भेज दें अखिलेश यादव', इटावा में बोले योगी के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी
लक्ष्मी नारायण चौधरी ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू धर्म को धोखा कहे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा ...और पढ़ें

इटावा, जागरण टीम। प्रदेश की गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उन्हें इलाज के लिए आगरा व बरेली के अस्पताल में भेज देना चाहिए। उन्हें इलाज की जरूरत है।
अखिलेश यादव को कराना चाहिए स्वामी प्रसाद का इलाज
लक्ष्मी नारायण चौधरी विकास भवन में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू धर्म को धोखा कहे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद उनके पुराने साथी हैं, लेकिन उनके इस बयान के बाद लगता है कि सपा अध्यक्ष को उनका इलाज कराना चाहिए।
घोसी उपचुनाव तो भाजपा जीतेगी
प्रदेश में घोसी विधान सभा पर चल रहे उपचुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि घोसी उपचुनाव तो भाजपा ही जीतेगी। भाजपा पहले रामपुर व आजमगढ़ के चुनाव भी जीत चुकी है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बाड्रा के बनारस से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि कोई कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है, सबका स्वागत है।
चीन द्वारा अपना मैप जारी करने पर लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि देश की एक इंच जमीन पर भी किसी की कब्जा करने की औकात नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे देश की तरफ कोई भी आंख उठाकर नहीं देख सकता है। उन्होंने विकास भवन के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक भी की और किसानों की गैर विवादित जमीनों के दाखिल खारिज में समस्या न होने के निर्देश भी दिए। बिजली कटौती न होने देने को कहा गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कहा था?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ''ब्राह्मणवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है। हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है।'' उन्होंने कहा कि सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है। अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता लेकिन क्या विडंबना है...।'

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