प्राचीन संस्कारों में शामिल है स्वर्ण प्राशन संस्कार
जागरण संवाददाता इटावा इटावा महोत्सव में लगाए गए नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन नीमा

जागरण संवाददाता, इटावा : इटावा महोत्सव में लगाए गए नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन नीमा के कैंप में 145 बच्चों का निश्शुल्क स्वर्ण प्राशन संस्कार कराया गया। स्वर्ण प्राशन कैंप का शुभारंभ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के टेक्निकल वर्किंग ग्रुप आयुष-एनटीईपी कोलेबोरेशन सदस्य प्रोफेसर डा. जीएस तोमर व नीमा अध्यक्ष डा. उमेश भटेले ने दीप जलाकर व भगवान धनवंतरी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। डा. तोमर ने बच्चों को स्वर्ण प्राशन की ड्राप भी पिलाई। बच्चों के स्वर्ण प्राशन के लिए डा. उत्कर्ष वर्मा की ओर से नि:शुल्क ड्राप की व्यवस्था की गई थी।
डा. जीएस तोमर ने कहा कि प्राचीन संस्कारों में से एक स्वर्ण प्राशन संस्कार भी है। यह सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है जो बच्चे के जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक कराया जाता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार आयुर्वेद चिकित्सा की वह धरोहर है जो बच्चों में होने वाली मौसमी बीमारियों से रक्षा करता है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य में स्वर्ण प्राशन की बहुत अच्छी भूमिका है। कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए बच्चों को स्वर्ण प्राशन ड्राप बहुत ही फायदेमंद है। आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा की जाए, ताकि रोग ही न हो। स्वर्ण प्राशन भी इसी कड़ी में कार्य करने वाली उत्तम औषधि है। यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक शक्ति एवं मानसिक विकास करता है। पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण प्राशन 100 गुना अधिक फलदाई होता है। उन्होंने कहा के पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस के कारण हजारों बच्चों की मौत होती थी, प्रदेश सरकार के द्वारा आरोग्य भारती के माध्यम से जब स्वर्ण प्राशन कराया गया तो इसके काफी सुखद परिणाम सामने आए। नीमा का यह प्रयास काफी सराहनीय है। नीमा अध्यक्ष डा. उमेश भटेले ने कहा कि स्वर्ण प्राशन संस्कार में स्वर्ण के साथ शहद, ब्रहम्मी, अश्वगंधा, गिलोय, शंखपुष्पी, वचा आदि जड़ी बूटियों से निर्मित एक रसायन है। जिसका सेवन पुष्य नक्षत्र के दौरान बच्चों को कराया जाता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक गति में अच्छा सुधार होता है। यह बहुत ही प्रभावशाली और इम्युनिटी बूस्टर होता है जिससे विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता बच्चों पैदा होती है। आयुर्वेद के क्षेत्र से जुड़े हमारे ऋषि मुनियों एवं आचार्यों ने हजारों वर्षों पूर्व वायरस और वैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन का निर्माण किया जिसे स्वर्ण प्राशन कहा जाता है। उन्होंने नीमा कैंप में सिबायोटेक कंपनी के द्वारा लगाए गए बीएमडी जांच के लिए कंपनी के अजीत सिंह व उनकी टीम का भी आभार जताया। कैंप को संपन्न कराने में शिविर प्रभारी डा. अनुराग श्रीवास्तव, डा. उत्कर्ष वर्मा, डा. श्रीकांत, डा. जेके तिवारी, डा. जेपी मिश्रा, डा. आरके भदौरिया, डा. आशीष शर्मा, डा. अरविद कुशवाहा, डा. राजेश तिवारी, डा. अमोल बाजपेई, डा. अर्जुन सिंह सचान ने सहयोग प्रदान किया।
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