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    बकरीद एक....दो साल बाद लौटी बाजार में रौनक,खूब बिके बकरे

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2022 07:10 PM (IST)

    ईद-उल-जुहा में कुर्बानी को खूब बिके बकरे ...और पढ़ें

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    बकरीद एक....दो साल बाद लौटी बाजार में रौनक,खूब बिके बकरे

    बकरीद एक....दो साल बाद लौटी बाजार में रौनक,खूब बिके बकरे

    फोटो नं. 34

    संवाद सहयोगी, जसवंतनगर : कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-अजहा 10 जुलाई को मनाया जाएगा। इस त्योहार पर बकरों की कुर्बानी का रिवाज भी है। यहां 50 वर्ष से रामलीला बकरी बाजार लग रहा है। बाजार में इस बार 20 हजार रुपये से कम में अच्छे बकरे नहीं मिल सके। व्यापारियों का कहना है कि अच्छी नस्ल के बकरों की मांग रही।

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    बकरी बाजार में हर कीमत के बकरे लाए जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी थे, जिनके शरीर पर इबारत सी नजर आती और विक्रेता उसे अपने-अपने हिसाब से पाक अल्फाज बता देते हैं। हालांकि खस्सी बकरे की सबसे ज्यादा मांग रहती है। खस्सी बकरा कुर्बानी के लिए सबसे अच्छा होता है। महंगाई के कारण खरीदारों का रुख कम कीमत वाले बकरों की ओर रहा। कई लोगों ने सादा बकरे भी खरीदे। इन बकरों की कीमत 20 हजार रुपये से शुरू होकर लाखों रुपये तक पहुंचती है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले दो साल से महंगाई रिकार्ड तोड़ बढ़ी है, जिसके चलते उन्हें भी बकरों का रेट बढ़ाना पड़ा। इस बार बाजार में ज्यादातर नस्ल के बकरे मौजूद रहे। पिछले दो साल में कोरोना काल के असर से बाजार बंद था। इस बार बकरे खूब बिके।

    ऐसे चुना जाता है कुर्बानी का बकरा

    बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए आए बकरों के जानकार हाजी मो. शमीम उर्फ पप्पू व मुजीबुद्दीन उर्फ बच्चू ने बताया कि कुर्बानी के लिए खरीदे जाने वाले बकरे पर काफी ध्यान देना होता है। उसका सींग टूटा न हो, दो दांत हो, कम से कम एक साल का हो, शरीर पर कोई जख्म न हो और तंदुरुस्त हो व कोई अंग-भंग न हो। इसके बाद ही उसकी कुर्बानी कबूल होती है।