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    खतरे में जमुनापारी बकरी, दम तोड़ गया बकरा नस्ल सुधार एवं संरक्षण फार्म

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 03:38 PM (IST)

    इटावा के चकरनगर में जमुनापारी बकरी नस्ल सुधार फार्म कर्मचारियों की कमी के कारण बंद हो गया है, जिससे पशुपालक परेशान हैं। दस साल से बंद इस फार्म के कारण जमुनापारी बकरियों की नस्ल खतरे में है। पशुपालकों ने सरकार से इसे फिर से शुरू करने की मांग की है, क्योंकि इन बकरियों की विदेशों में भी बहुत मांग है।

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    देशराज यादव, इटावा। देश में इकलौते जमुनापारी बकरी प्रजनन के लिए मुफीद पारपट्टी क्षेत्र चकरनगर का जमुनापारी नस्ल सुधार एवं संरक्षण फार्म कर्मचारियों की नियुक्ति के अभाव में दम तोड़ गया। लगभग 10 वर्ष से निरंतर फार्म बंद होने से पशुपालकों का अब भरोसा उठ गया।

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    क्षेत्र की जमुनापारी बकरी का भविष्य खतरे में है। पशुपालकों ने सरकार से नस्ल सुधार एवं संरक्षण को दोबारा से संचालित कराने की मांग की है। रिक्त पड़े पदों में पशुधन प्रसार अधिकारी, दो केयर टेकर, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक सफाईकर्मी शामिल हैं।

    जमुनापारी बकरी नस्ल सुधार एवं संरक्षण के लिए तहसील चकरनगर के चांदई में सरकार के द्वारा फार्म खोला गया था। जिसमें प्रजनन के लिए अधिकतम 20 और कम से कम 12 बकरे रखना अनिवार्य है। लेकिन यहां कर्मचारियों की नियुक्ति न होने से लगभग 10 वर्ष से उक्त फार्म बंद पड़ा है।

    क्षेत्र के पशुपालक बकरियों की नस्ल सुधार प्रजनन के लिए परेशान है और निरंतर जमुनापारी बकरियों की नस्ल खराब होती जा रही है, जिससे क्षेत्र के पशुपालक सहित किसान चिंतित हैं। यही नहीं किसानों के साथ साथ सरकार को भी जमुनापारी बकरी नस्ल सुधार के लिए चिंता करनी चाहिए, क्यों कि जमुनापारी बकरियों का इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश सहित कई देशों में निर्यात किया जा रहा है।

    कुछ देश के लोग जमुनापारी बकरी की सुंदरता को देखकर इसे पालते हैं, तो कुछ इसकी खाल से सर्जरी कराते हैं और कुछ तो इसका मीट खाना पसंद करते हैं, जिससे जमुनापारी बकरी की कीमत विदेशों में अधिक है। उक्त देशों में बकरियों की सप्लाई से पशुपालक व किसानों को अच्छी कीमत मिलती है, साथ ही व्यापारियों को अच्छा रोजगार मिलता है, लेकिन जमुनापारी नस्ल सुधार एवं संरक्षण के लिए बनाया गया फार्म बंद होने से बकरियों की नस्ल खराब हो रही है।

    क्षेत्र के गांव सहसों से पशुपालक रघुवीर यादव, सिरसा से साहब सिंह, चिनौती सिंह, टिटावली से मटरू सिंह व देव सिंह यादव आदि ने सरकार से उक्त केन्द्र को संचालित कराने की मांग की है।

    लंबे समय से जमुनापारी बकरी नस्ल सुधार एवं संरक्षण फार्म कर्मचारियों की नियुक्ति के अभाव में बंद पड़ा है, 14 सेड नए बनाए गए थे, जो अधूरे पड़े है और यह भी संचालित न होने से खराब हो रहे है।

    -डाॅ. अशोक कुमार, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी