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    सात महीने के नवजात को अस्पताल छोड़कर चले गए परिवार वाले, डेढ़ महीने में तोड़ा दम; नाना-नानी को बुलाकर कराया पोस्टमार्टम

    इटावा में एक दर्दनाक घटना में सात महीने में पैदा हुए एक नवजात शिशु ने डेढ़ महीने तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद दम तोड़ दिया। बच्चे के परिवार के अस्पताल न पहुंचने पर पुलिस ने नाना-नानी को बुलाकर पोस्टमार्टम कराया। डॉक्टरों ने मां के दूध की आवश्यकता बताई पर परिवार नहीं आया।

    By gaurav dudeja Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Thu, 03 Jul 2025 08:39 PM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, इटावा। सातवें महीने में पैदा हुए नवजात ने डेढ़ महीने तक वेंटीलेटर पर रहने के बाद दम तोड़ दिया। डाक्टर की सूचना पर परिवार वाले जब अस्पताल नहीं पहुंचे, तब पुलिस ने नाना-नानी को बुलाकर शव का पोस्टमार्टम कराया।

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    डाक्टर का कहना है कि बच्चे को मां के दूध की जरूरत थी, लेकिन उसके घर से कोई नहीं आया। वहीं, नवजात की मौत के बाद लोग अब तरह-तरह की बात कर रहे हैं। वेंटिलेटर का खर्चा वहन न कर पाने के कारण स्वजन निजी अस्पताल में उसे छोड़ गए थे।

    औरैया के थाना अछल्दा के ग्राम साजनपुर के रहने वाले सुशील कुमार की पत्नी राखी के सांतवे महीने में प्रसव पीड़ा होने पर फ्रेंड्स कालोनी में विनायक हास्पिटल में 10 मई को डिलीवरी हुई थी।

    बच्चे की हालत खराब होने पर उसे पास में ही सरस्वती हास्पिटल में वेंटीलेटर पर भर्ती कराया गया। जहां डाक्टर ने नवजात को एक महीने के लिए रखने की बात कही बात कही थी।

    सुशील डिलीवरी के बाद अपनी पत्नी को लेकर घर चला गया था। उसके बाद वह दोबारा अस्पताल नहीं पहुंचा। बुधवार को बच्चे ने दम तोड़ दिया, डाक्टर ने घर वालों को सूचना दी तो कोई अस्पताल नहीं पहुंचा।

    गुरुवार को डाक्टर ने इसकी जानकारी पुलिस को दी, पुलिस ने स्वजन को फोन करके बुलाया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कानपुर देहात के थाना रसूलाबाद में गदाईपुर में रहने वाले नाना-नानी मनोज अपनी पत्नी एकता देवी के साथ किराए की कार से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे।

    मनोज ने बताया उनकी बेटी राखी के 10 मई को बेटा पैदा हुआ था। सातवें महीने में बेटी के डिलीवरी होने पर बच्चा कमजोर था। उसे अस्पताल में भर्ती कराकर सभी लोग घर चले गए थे। डाक्टर ने वेंटीलेटर में बच्चे को रखने के एक दिन के 2500 रुपये बताए थे। इतना रुपया वहन करने में वह असमर्थ थे।

    सरस्वती हास्पिटल के डा. संजीव यादव ने बताया कि एक माह में बच्चे के सुधार होने की बात कही थी। बच्चे के लिए मां के दूध की जरूरत थी लेकिन मां-बाप नहीं आए। डेढ़ महीने तक बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा, बचाने का प्रयास किया लेकिन बुधवार को उसकी मौत हो गई।

    परिवार वालों के न आने पर पुलिस को सूचना दी। थाना प्रभारी अमित मिश्रा ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। इस मामले में कोई शिकायत नहीं हुई है।