Etawah: 10 माह से आश्वासनों की छत पर ही गुजर बसर, नहीं मिला पीड़ितों को मकान
वर्ष 2022 के सितंबर में आयी तेज आंधी-बारिश से शहर के अलग-अलग स्थानों पर कच्चे मकान धराशायी होने से 7 मासूमों समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी। प्राकृतिक आपदा के बाद जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को मुआवजा के साथ-साथ पक्का मकान दिलवाने का वादा किया गया था लेकिन पीड़ित 10 माह से उम्मीद लगाए बैठे हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जागरण संवाददाता, इटावा। वर्ष 2022 के सितंबर महीने में जनपद में आयी तेज आंधी-बारिश से शहर के अलग-अलग स्थानों पर कच्चे मकान व दीवारें धराशायी होने से 7 मासूमों समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी। प्राकृतिक आपदा के बाद जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को मुआवजा के साथ-साथ पक्का मकान दिलवाने का वादा भी किया गया था, लेकिन पीड़ित 10 माह से उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पक्के आवासों के लिए तरस रहे पीड़ित
21 सितंबर 2022 की रात को आयी आंधी-बारिश में चार परिवारों के आशियाने उजड़ गए थे। जिन्हें आज तक प्रशासन आवास व मदद दिलाने का भरोसा ही दे रहा है। मदद के नाम पर सिर्फ मुख्यमंत्री राहत कोष से मिलने वाली चार-चार लाख रुपये की धनराशि ही मिल पाई है। पक्के आवासों के लिए आज भी तरस रहे हैं। जिससे इन परिवारों को आज भी डर के साये में बरसात के इस मौसम में रातें गुजारनी पड़ रहीं हैं।
प्राकृतिक आपदा का शिकार होने वाले चारों परिवारों जिसमें चाहे शहर के पथवरिया घटिया अजमत अली निवासी मजदूर आरिफ का परिवार हो या फिर चन्द्रपुरा सिविल लाइन में रहने वाले बिना माता पिता की चार भाई बहनों का परिवार या फिर इकदिल के भाटिया गांव निवासी बुजुर्ग दंपती रामसनेही का परिवार उस मंजर को आज भी बखूबी याद रखे हैं जिसमें किसी ने अपने माता-पिता तो किसी ने अपनी औलाद के रूप में अपनों को खो दिया था।
2022 से जर्जर मकानों में रहने को मजबूर
शायद ही वह इस मंजर को पूरी जिंदगी न भुला पाए लेकिन जिला प्रशासन इन परिवारों पर टूटे कहर को पूरी तरह से भुला चुका है। जिसका परिणाम है कि नौ महीने बाद भी प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए इन परिवारों को जिला प्रशासन की ओर से आपदा के बाद किए गए वादों को पूरा नहीं कर सका। जिसके चलते यह परिवार अभी भी जर्जर मकानों में रहने को मजबूर है लेकिन जिला प्रशासन को इनकी कोई चिंता फिक्र नहीं है।
वर्ष 2022 में प्राकृतिक आपदा में मकान पर दीवार गिरने से अपने दो बच्चों पांच साल की महक व 8 महीने की पायल समेत बहन की एक साल की बेटी की जान गंवाने वाले घटिया अजमत अली निवासी आरिफ के यहां जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची और परिवार से सरकार से मिलने वाली मदद के बारे में पूछा तो आरिफ की पत्नी चंदा ने बताया कि उस हादसे के बाद ध्वस्त हुए किराए के मकान को छोड़कर हादसे में जिंदा बचे दोनों बेटों के साथ मायके में अपनी मां के जर्जर मकान में रहने को मजबूर दिखे।
चंदा ने बताया कि पिछले वर्ष उनके परिवार पर टूटी प्राकृतिक आपदा के रूप में उन्हें अब तक सिर्फ मुख्यमंत्री की ओर से ऐलान की गई चार-चार लाख रुपये की राशि के रूप में आठ लाख की धनराशि जिला प्रशासन की ओर से दी गई है। पक्का आवास दिलवाने के लिए उनके पास कोई अधिकारी नहीं आया। उसने बताया कि पति होटल पर खाना बनाने का काम करता है और वह भी पढ़ी लिखी नहीं है जिससे वह जाए तो कहां जाए।
सरकार से न मुआवजा मिला न घर
इकदिल के भाटिया गांव में दीवार ढहने से जान गंवाने वाले बुजुर्ग दंपती रामसनेही और उनकी पत्नी रेशमा देवी के पुत्रों उमाशंकर व अवध नरायन ने बताया कि उन्हें हादसे के बाद सरकार की ओर से सिर्फ मुख्यमंत्री राहत कोष से मिलने वाली धनराशि मिली है। इसके अलावा न तो किसान सहायता से मिलने वाला पांच लाख का मुआवजा मिला है और न ही पक्के मकान के लिए प्रधानमंत्री आवास जैसी कोई योजना का लाभ दिया गया है।
उन्होंने बताया कि दोनों भाई मजदूरी व परचून की दुकान चलाकर भरण पोषण करते हैं। इसी तरह चन्द्रपुरा सिविल लाइन में माता-पिता की मौत के बाद प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए अनाथ चार भाई-बहनों को खो देने वाला कल्लू और उसकी बुजुर्ग दादी भी छप्पर में रहने को मजबूर हैं। उन्हें भी मुख्यमंत्री सहायता राशि के अलावा आज तक पक्का मकान प्रशासन की ओर से नहीं मिल सका।
एसडीएम सदर विक्रम राघव ने कहा कि प्राकृतिक आपदा का शिकार होने वाले परिवारों को प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष से चार-चार लाख रुपये की राशि दी जा चुकी है। इनमें चन्द्रपुरा गांव के बुजुर्ग महिला व बच्चे को पक्का मकान के लिए भूमि का आवंटन किया जा चुका है। सिर्फ पट्टे का सर्वे कराकर उस पर भवन का निर्माण कार्य कराया जाना है। जबकि पथवरिया में किराए के मकान में रहने वाले आरिफ के परिवार को पक्का मकान के संबंध में डूडा को निर्देश दिए गए हैं।
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