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    यूपी के इस बैंक में 54 करोड़ की हेराफेरी, 12 अधिकारी दोषी; किसानों के नाम पर फर्जी FD बनाकर किया घपला

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 03:16 PM (IST)

    इटावा जिला सहकारी बैंक में विभागीय जांच के दौरान 54 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है जिसमें 12 लोगों को दोषी पाया गया है। आरोप है कि किसानों के नाम पर फर्जी एफडी बनाकर और अन्य खातों में हेरफेर करके यह गबन किया गया। संयुक्त आयुक्त ने आरोपियों को ब्याज समेत धनराशि जमा करने के निर्देश दिए हैं अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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    सहकारी बैंक के घोटाले में हुई विभागीय जांच में 12 दोषियों पर 54 करोड़ रुपये के गबन का आरोप तय।

    जागरण संवाददाता, इटावा। जिला सहकारी बैंक के घोटाले में हुई विभागीय जांच में 12 दोषियों पर 54 करोड़ रुपये के गबन का आरोप तय कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर संयुक्त आयुक्त एवं संयुक्त निबंधक कानपुर मंडल सहकारिता ने मामले की जांच कराई थी।

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    इस मामले में उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 68(1) के तहत दो सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उन्हें दी थी। रिपोर्ट के बाद अधिनियम की धारा 68(2) के तहत आरोप तय कर दिए गए हैं। उन्होंने यह धनराशि आरोपितों से 15 सितंबर तक जमा कराने के निर्देश दिए हैं।

    संयुक्त आयुक्त एवं निबंधक आरएस सेंगर द्वारा अपनी जांच में 54 करोड़ 33 लाख 47 हजार 521 रुपये 28 पैसे की क्षति बैंक को पहुंचाना पाया गया है। उन्होंने बताया कि किसानों के नाम से फर्जी एफडी बना दी गईं उसके बाद इस एफडी के भुगतान निकाल लिए गए।

    इसी प्रकार अन्य खातों में भी हेरफेर किया गया और रुपया निकालकर अपने खातों में डाला गया। मामले में 12 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी पाया गया है।

    इन सभी से 12 प्रतिशत ब्याज की दर से 15 दिन में बैंक में धन जमा करने निर्देश दिए गए हैं, नहीं तो उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक अधिनियम 1965 की धारा 92 की विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए बैंक को वसूली के निर्देश दिए गए हैं।

    यह लोग हैं गबन के आरोपित

    • लालजी वर्मा - 6 करोड़ 89 लाख 466 रुपये
    • अखिलेश कुमार चतुर्वेदी - 26 करोड़ 93 लाख 76 हजार 433 रुपये
    • अतुल प्रताप सिंह - 13 करोड़ 60 लाख 13 हजार 298 रुपये
    • नफीशुल जैदी - 6 करोड़ 3 लाख 51 हजार 989 रुपये
    • रिंकी - 1 करोड़ 5 लाख 74 हजार 443 रुपये
    • सुनीता - 33 लाख 57 हजार 109 रुपये
    • शिवांगी शुक्ला - 4 लाख 58 हजार 828 रुपये
    • उपेंद्र कुमार - 25 लाख 53 हजार 989 रुपये
    • कुलदीप सिंह - 49 लाख 82 हजार 89 रुपये
    • विवेक भार्गव - 13 हजार 279 रुपये
    • दीपक गुप्ता - 19 लाख 58 हजार 995 रुपये
    • सुनील यादव - 26 लाख 17 हजार 599 रुपये

    यह था मामला

    उपमहाप्रबंधक जिला सहकारी बैंक उमेश कुमार ने 17 जुलाई 2024 को 24 करोड़ 18 लाख रुपये के गबन व 72 लाख रुपये की अनियमितता का मामला थाना कोतवाली में दर्ज कराया था। जिसमें दस लोगों को नामजद किया गया था।

    मामले में पुलिस ने अब तक मुख्य आरोपित अखिलेश चतुर्वेदी, सहायक प्रबंधक अतुल प्रताप सिंह, लेखाकार नफीसुल जैदी, शाखा प्रबंधक सुनीता व लिपिक शिवांगी शुक्ला, उपेंद्र कुमार एवं रिंकी व रिंकी द्वितीय सहित सभी 10 आरोपितों को जेल भेज दिया है।

    इसके साथ साथ उज्ज्वल पोरवाल, अखिलेश के पिता शैलेंद्र चतुर्वेदी, मां आशा चतुर्वेदी, पत्नी मालती चतुर्वेदी व ठेकेदार प्रभात कुमार सहित सात को गिरफ्तार किया है। स्पेशल आडिट टीम की जांच रिपोर्ट के बाद यह घोटाला बढ़कर 102 करोड़ रुपये का हो गया था।

    इस मामले में बैंक के दो सचिवों दीपक कुमार व कुलदीप सिंह को शासन ने निलंबित भी कर दिया था। मामले की जांच पुलिस सहकारिता सेल द्वारा की जा रही है। अभी तक मुख्य 10 आरोपितों में से किसी की जमानत नहीं हुई है।