बाढ़ में बह गए मगरमच्छ और घड़ियाल के 95 प्रतिशत बच्चे
बाढ़ में बह गए बच्चे

बाढ़ में बह गए मगरमच्छ और घड़ियाल के 95 प्रतिशत बच्चे
संवाद सहयोगी, चकरनगर : घड़ियाल व मगरमच्छ के करीब पांच हजार बच्चों से दो माह पूर्व गुलजार हुई चंबल नदी में आई बाढ़ में 95 प्रतिशत घड़ियाल व मगरमच्छ के बच्चे बह गए। जान बचाकर खार-खरैयों में घुसे पांच प्रतिशत बच्चे भटक कर क्षेत्र के तालाब, पोखरों में पहुंच गए। भटके कुछ मगरमच्छ व घड़ियाल भी यमुना व क्वारी नदी में निकल गये।
राजस्थान के तासौड़ से लेकर चकरनगर के पचनद संगम 165 किमी के क्षेत्र में इस वर्ष 135 मादा घड़ियाल व 22 मगरमच्छ ने घोंसले रखे थे। जिसमें अनुमानित पांच हजार बच्चे चंबल नदी में पहुंचे थे। विभागीय कर्मचारियों के मुताबिक इस वर्ष चकरनगर क्षेत्र में बालू कम होने से घोंसलों की संख्या कम रही थी। लेकिन 165 किमी का आकलन किया जाय, तो पिछले वर्ष से घड़ियाल व मगरमच्छ के बच्चों की संख्या काफी अधिक थी।
चंबल नदी में पिछले सप्ताह आये भीषण बाढ़ के पानी में घड़ियाल व मगरमच्छ के 95 प्रतिशत बच्चे बह गए और निगरानी के लिए लगाए गए विभागीय कर्मचारी हाथ मलते रह गये। यही नहीं बाढ़ की विभीषिका में मगरमच्छ व घड़ियाल भी जान बचाने के लिए कम प्रभाव वाली यमुना व क्वारी नदी में निकल गए। फरवरी और मार्च माह के शुरुआत में ही घड़ियाल नर व मादा मैचिंग का कार्य शुरू कर देते हैं। इसके उपरांत मार्च महीने में ही मादा नेक्स्ट रखने का स्थान खोजने लगती है। मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह तक घड़ियाल के बच्चों की उत्पत्ति होती है। जिनकी देखरेख मादा से अधिक नर घड़ियाल करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पैदा हुए घड़ियाल बच्चों में से मात्र पांच प्रतिशत बच्चे ही जीवित रहते हैं। बकाया पानी बढ़ने से लेकर विभिन्न बाधाओं के चलते दैवीय आपदा के तहत प्रत्येक वर्ष गुम हो जाते हैं।
बाढ़ सहित अन्य बाधाओं में घड़ियाल व मगरमच्छ के 95 प्रतिशत बच्चों का गायब होना प्राकृतिक नियम है। बचने वाले पांच प्रतिशत बच्चों से हमारी चंबल पूरी तरह संतृप्त है। देखरेख के उपरांत अब चंबल नदी को कहीं से कोई बच्चे लाने की जरूरत नहीं है।
दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ चंबल सैंक्चुअरी आगरा
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