इटावा से खासा नाता रहा है महाश्वेता चतुर्वेदी का
जागरण संवाददाता, इटावा : इटावा की बेटी व ¨हदी की प्रख्यात लेखिका डा. महाश्वेता चतुर्वेदी के
जागरण संवाददाता, इटावा : इटावा की बेटी व ¨हदी की प्रख्यात लेखिका डा. महाश्वेता चतुर्वेदी के निधन पर उनके मायके में खासा शोक है। यहां पर उनके अनुज कवि मेघावसु पाठक अब भी अपने पुराने आवास कूंचाशील चंद्र में रहते हैं। वे स्वयं अच्छे कवि व लेखक हैं। डा. महाश्वेता चतुर्वेदी का मंगलवार को बरेली में निधन हो गया था। बीते कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे मेघावसु पाठक के लिये मातृतुल्य बड़ी बहन का निधन भारी वज्रपात है। वे उनके निधन पर बरेली नहीं जा पाये और पीलिया की बीमारी से पीड़ित हैं। महाश्वेता चतुर्वेदी का इटावा आना-जाना लगा रहता था। इटावा ¨हदी सेवा निधि ने उन्हें सम्मानित भी किया था। उनकी प्रिय मित्र कवयित्री शकुंतला अग्रवाल का कहना है कि सादगी में महाश्वेता जी अद्वितीय थीं। बड़ी जल्दी घुल मिलकर सबसे आत्मीयता स्थापित कर लेने की अछ्वुत क्षमता उनमें थी। इटावा ¨हदी सेवा निधि ने भी उन्हें सम्मानित किया था। निधि के महासचिव प्रदीप कुमार का कहना है कि इटावा नगर ने एक ऐसी बेटी को खो दिया जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमें गौरवान्वित कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता गिर्राज नारायण अग्रवाल ने कहा कि महाश्वेता जैसी विदुषी साहित्यकार के जाने से साहित्य जगत में सूनापन आया है। वरिष्ठ साहित्यकार डा. कुश चतुर्वेदी ने कहा कि महाश्वेता ने सृजन की एक समृद्ध यात्रा तय की थी। उनकी ग्रंथावली उनकी शब्द साधना का प्रति¨वब है उनके लेखन में समाज का यथार्थ झलकता है उनके जाने से एक बड़ी रिक्तता आयेगी। राजकुमार गुप्ता एडवोकेट ने कहा कि यह उनकी पारिवारिक क्षति भी है। आर्य कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य थीं महाश्वेता की मां डा. महाश्वेता चतुर्वेदी की मां शारदा देवी पाठक आर्य कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य 1973 तक रहीं हैं। उनके पिता रमेश चंद्र पाठक शास्त्री जी शहर के शिव नारायण इंटर कालेज में शिक्षक रहे हैं। उनके भाई मेघावसु पाठक बताते हैं कि डा. महाश्वेता की शादी वर्ष 1970 में हुई थी उसके बाद से वह बरेली चली गई थीं और साहित्य जगत में रच-बस गई थी और अपना नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक फैलाया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।