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    चंबल सैंक्चुअरी और वन विभाग के NOC ना देने से 9 गांवों में नहीं बन पा रही सड़क,  आजादी के 78 साल बाद भी ये हाल

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 03:25 PM (IST)

    चंबल सैंक्चुअरी और वन विभाग की NOC ना मिलने से नौ गांवों में सड़क निर्माण अटका है। आज़ादी के 78 साल बाद भी ग्रामीण सड़क के लिए तरस रहे हैं। वन विभाग की अनुमति के बिना सड़क बनना मुश्किल है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है और विकास कार्य बाधित हैं।

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    संवाद सहयोगी, चकरनगर। देश को स्वतंत्रता मिले 78 वर्ष बीतने के बावजूद तहसील क्षेत्र के कांयछी सहित नौ गांव आज भी चंबल सैंक्चुअरी की हुकूमत में जीने को मजबूर हैं। हालात बद से बदतर आज भी हैं इन नौ गांवों में आज भी सड़क तक नहीं बन सकी है। बीमार पड़ने पर मरीजों को चारपाई से लेकर दवा दिलाने के लिए ले जाना पड़ता है। आलम यह है कि समस्याओं से परेशान लोग धीरे-धीरें गांव छोड़ रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि जन प्रतिनिधियों ने भी इन गांवों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

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    विकास खंड चकरनगर में कांयछी ऐसा गांव है, जिस पर अंग्रेज भी हुकूमत नहीं कर सके थे। दरअसल यमुना नदी के किनारे घने जंगल में बसा यह गांव अंग्रेजों को खोजने के बाद भी नहीं मिला था। अब हाल यह है कि सड़क बनाने के लिए चंबल सैंक्चुअरी ने पीडब्ल्यूडी को कायंछी, नगला महानंद, बिरोनाबाग, बझाई कोटरा, गुरभेली गांव में सड़क के लिए एनओसी नहीं दी और सड़क बनाने पर रोक लगा रखी है।


    वहीं, सामाजिक वानिकी भी तेलिन खोड़न, ललूपुरा, नौरगा खोड़न व गोहरा गांव की सड़क बनाने की अनुमति नहीं दे रहा है। सड़क न बनने से इन चारों गांवों का विकास ही नहीं रुका है, बल्कि बारिश का पानी और नदियों में आने वाली बाढ़ का पानी गांव के रास्तों में भर जाता है। बरसात में मरीजों को चारपाई से अस्पताल ले जाना पड़ता है और प्रसव पीड़ा से तड़पती महिलाओं को भी जान की बाजी लगानी पड़ती है, कई बार तो जान भी चली जाती है।

    ग्रामीण बोले


    गांव से निकलना ही मुश्किल है। हमारे लिए सभी सड़क और विकास की बातें खोखली हैं। जनप्रतिनिधियों ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया।
    अमित भदौरिया, कांयछी

    मरीजों को चारपाई से ले जाना पड़ता है, गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंचती, शिक्षा मिल नहीं रही। रास्ता न होंने से बच्चों की शादी नहीं हो रही। हम विकास की क्या उम्मीद करें तो किससे करें।
    मंगल सिंह राठौर, तेलियन खोड़न


    आजादी को 78 साल बीतने के बाद भी क्षेत्र के गांवों के लिए संपर्क मार्ग न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं, सरकार को यहां तत्काल सड़क बनवानी चाहिए।
    रामनरेश गुर्जर, हनुमंतपुर

    विकास का रास्ता सड़क तय करतीं है, यहां सड़क ही नहीं है। यह बात सरकार में बैठे मंत्रियों व नेताओं को सोचनी चाहिए। आखिर कब समस्या का निदान होगा।
    बृजेंद्र सिंह राजावत, चंद्रहंसपुरा

    जिम्मेदार बोले

    कांयछी सड़क के लिए अभी अनुमति नहीं मिली है। जमीन के बदले जमीन की प्रकिया चल रही है, पूरी होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी, बाकी सड़कों की कोई अनुमति की प्रक्रिया नहीं चल रही है।
    कोटेश त्यागी, सैंक्चुअरी रेंजर, चकरनगर

    कांयछी सड़क के लिए चंबल सैंक्चुअरी से अनुमति की तो प्रक्रिया चल ही रही है, लेकिन जिलाधिकारी द्वारा छह पत्र प्रमुख सचिव के लिए भेजे जा चुके हैं, लेकिन शासन से अभी स्वीकृति नहीं मिली है। बाकी आठ गांवों की सड़कों की एनओसी मिलने पर आगे की कार्रवाई होगी।
    संजीव कुमार, अधिशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी विभाग