Bharat Ratna : जब थाने में चौधरी चरण सिंह से मांगी गई थी 35 रुपये की रिश्वत, पूरा थाना हुआ था निलंबित
पुलिस वालों ने पूछा कि क्या हुआ हमें बताओ। उन्होंने कहा कि किसी ने उनकी जेब काट ली है। जेब में काफी रुपये थे। इस पर थाने में तैनात एएसआइ ने कहा कि ऐसे थोड़े ही रिपोर्ट लिखी जाती है। उन्होंने कहा वे मेरठ के रहने वाले हैं और खेती किसानी करते हैं यहां पर सस्ते में बैल खरीदने आए थे। जब यहां पर आए तो उनकी जेब फटी मिली।
जागरण संवाददाता, इटावा : बात वर्ष 1979 यानी 44 साल पहले की है उस समय पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति की शिकायत पर सायं छह बजे जनपद के ऊसराहार पुलिस स्टेशन पहुंच गए। वह 75 साल के परेशान किसान के रूप में धीमी चाल से चलते हुए थाने में पहुंचे।
एक फटेहाल मजदूर किसान के रूप में उन्होंने अंदर प्रवेश किया। थाने में तैनात पुलिसकर्मी उन्हें पहचान नहीं सके। उन्होंने पुलिस कर्मियों से पूछा दारोगा साहब हैं, जवाब मिला वो तो नहीं हैं। साथ ही एएसआई व अन्य पुलिस कर्मियों ने पूछा आप कौन हैं और यहां क्यों आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें रिपोर्ट लिखवानी है।
जेब कटने की रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे थे
पुलिस वालों ने पूछा कि क्या हुआ हमें बताओ। इस पर उन्होंने कहा कि किसी ने उनकी जेब काट ली है। जेब में काफी रुपये थे। इस पर थाने में तैनात एएसआइ ने कहा कि ऐसे थोड़े ही रिपोर्ट लिखी जाती है।
उन्होंने कहा कि वे मेरठ के रहने वाले हैं और खेती किसानी करते हैं यहां पर सस्ते में बैल खरीदने आए थे। जब यहां पर आए तो उनकी जेब फटी मिली। जेब में कई सौ रुपये थे। पाकेट मार वो रुपये लेकर भाग गया। उस समय में 100 रुपये का काफी महत्व होता था।
इस पर पुलिस वालों ने कहा कि तुम पहले यह बताओ कि मेरठ से चलकर इतनी दूर इटावा आए हो, जेब कतरों ने रुपये निकाल लिए यह कैसे कहा जा सकता है। हम ऐसे रिपोर्ट नहीं लिखते। इस पर चरण सिंह ने कहा कि वे घर वालों को क्या जवाब देंगे।
पुलिस वाले बोले- यहां से चले जाओ, समय बर्बाद न करो
पुलिस कर्मियों ने कहा कि यहां चले जाओ समय बर्बाद न करो। उन्होंने रिपोर्ट लिखने की गुहार लगाई परंतु पुलिस ने लिखने से इन्कार कर दिया। दरअसल चौधरी चरण सिंह पूरे देश में थानों व तहसील में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहे थे। ऊसराहार थाने की उनके पास एक शिकायत आई थी। क्षेत्र के ग्राम नगला भगे के 85 वर्षीय बुजुर्ग साधौ सिंह ने बताया कि यह मामला उस समय काफी चर्चित हुआ था।
रिपोर्ट लिखवा देंगे पर खर्चा पानी लगेगा
इतने में थानेदार साहब भी वहां आ गए और वो भी रिपोर्ट लिखने को तैयार नहीं हुए। किसान यानी चौधरी चरण सिंह घर लौटने के इरादे से बाहर आ गए और वहीं पर खड़े हो गए। इतने में एक सिपाही को उन पर रहम आ गया और उसने पास आकर कहा रिपोर्ट लिखवा देंगे। खर्चा पानी लगेगा इस पर चौधरी साहब ने पूछा कितना लगेगा तो उसने कहा कि 100 रुपये। बात 100 रुपये शुरू हुई और 35 रुपये पर आकर टिक गई।
जब कुर्ते की जेब से निकाली प्रधानमंत्री की मुहर
चौधरी साहब मान गए, सिपाही ने अपने थानेदार को जाकर यह बात बताई। उन्हें रिपोर्ट लिखाने के लिए अंदर बुलाया गया। मुंशी ने रिपोर्ट लिखकर उनसे पूछा बाबा हस्ताक्षर करोगे या अंगूठा लगाओगे। उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर करेंगे। यह कहकर उन्होंने पैन उठा लिया और हस्ताक्षर कर दिए। टेबल पर रखे स्टांप पैड को भी खींच लिया। थाने का मुंशी सोच में पड़ गया कि हस्ताक्षर करने के बाद यह स्टांप पैड क्यों उठा रहा है।
उन्होंने अपने हस्ताक्षर में चौधरी चरण सिंह लिख दिया और मैले कुर्ते की जेब से मुहर निकालकर कागज पर ठोंक दी जिस पर लिखा था प्रधानमंत्री भारत सरकार। यह देखकर पूरे थाने में अफरा तफरी मच गई।
कुछ देर में प्रधानमंत्री का काफिला भी वहां पहुंच गया। सभी आला अधिकारी भी वहां पहुंच गए। उन्होंने पूरे थाने को निलंबित कर दिया। कमिश्नर, डीआइजी, डीएम, एसएसपी सभी के हलक सूख रहे थे। चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बने थे।
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