बासमती धान के दामों में गिरावट से किसानों की उम्मीदों को लगा झटका, दाम निकलना भी मुश्किल
इटावा के किसानों को धान की फसल से अच्छी आमदनी की उम्मीद थी, पर बाजार भाव उम्मीद से कम रहे। धान का न्यूनतम भाव भी 2500 रुपये प्रति क्विंटल नहीं मिल रहा, जिससे लागत निकालना मुश्किल है। कम पैदावार और घटे बाजार भाव से किसानों को भारी निराशा हुई है। कृषि विभाग ने शासन को रिपोर्ट भेजने की बात कही है।

जागरण संवाददाता, इटावा। क्षेत्र के किसानों को इस वर्ष धान की फसल से अच्छी आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन बाजार भाव उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत रहे। किसानों का कहना है कि धान का न्यूनतम भाव ढाई हजार रुपये प्रति क्विंटल भी नहीं मिल रहा, जिस कारण लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। इस बार मौसम की मार औसत पैदावार मात्र तीन क्विंटल प्रति बीघा के आसपास रही, जिससे किसानों को भारी निराशा हाथ लगी है।
किसानों के अनुसार एक बीघा धान की खेती पर करीब पांच हजार रुपये का खर्च आता है, जिसमें खाद, बीज, मजदूरी, जुताई, सिंचाई और कटाई जैसी लागत शामिल है। लेकिन कम पैदावार और घटे हुए बाजार भाव की वजह से किसानों के हाथ में एक हजार रुपये प्रति बीघा की बचत ही रह गई। ऐसे हालात में खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।
किसानों का कहना है कि यदि सरकार धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कड़ाई से खरीद कराएं या मंडियों में नियंत्रण व्यवस्था मजबूत करें तभी उन्हें उचित दाम मिल सकते हैं। इन हालात में खेती से परिवार चलाना कठिन हो गया है, लगातार बढ़ती लागत और घटती पैदावार ने उम्मीदों को तोड़ दिया है।
एडीओ कृषि शिवम कुमार ने बताया कि किसानों को बासमती धान का भाव नहीं मिलने से नुकसान है जिसकी रिपोर्ट जिले से शासन को भेजी जाएगी।

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