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    इटावा को साहित्य की उर्वरा भूमि कहते थे अटल जी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 24 Dec 2020 07:41 PM (IST)

    जागरण संवाददाता इटावा कवि ह्रदय अटल बिहारी वाजपेयी का अपनी ननिहाल इटावा के साहित्यिक

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    इटावा को साहित्य की उर्वरा भूमि कहते थे अटल जी

    -पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी को खुद सम्मान देने गए थे घर

    -अपनी ननिहाल इटावा के साहित्यक परिवेश से था गहरा नाता

    जागरण संवाददाता, इटावा :

    भारत रत्‍‌न पूर्व प्रधानमंत्री एवं कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी का अपनी ननिहाल इटावा के साहित्यिक परिवेश से गहरा नाता था। एकाध नहीं, कई मौकों पर उन्होंने यह कहा कि इटावा साहित्य की उर्वरा भूमि है।

    अटल जी की स्मृतियों को संजोए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुश चतुर्वेदी बताते हैं कि इटावा के ही वयोवृद्ध साहित्यकार सरस्वती पत्रिका के पूर्व संपादक भैया साहब पंडित श्रीनारायण चतुर्वेदी ने जब उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान का भारत भारती सम्मान लेने से मना कर दिया तो उत्तर प्रदेश हिदी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें जनता भारत भारती सम्मान दिया। अटल जी यह सम्मान देने खुद उनके घर गए। तब वह अचेतावस्था में थे। डॉ. कुश चतुर्वेदी के मुताबिक वर्ष 1992 मे जब उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान ने हिदी गौरव सम्मान तीन मनीषियों को दिया तो वे थे अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रप्रकाश द्विवेदी और न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त। उसी कार्यक्रम में न्यायमूर्ति गुप्त जी ने इटावा में हिदी सेवी संस्था की स्थापना की घोषणा की तो अटल जी ने कहा, इटावा ने साहित्य जगत को बहुत दिया है।

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    इटावा के प्रसिद्ध गीतकार स्वर्गीय ओम प्रकाश दीक्षित की ननिहाल अटल जी के परिवार में थी। उनके मुताबिक कविता सुनना और सुनाना अटल जी को प्रिय था। पारिवारिक मांगलिक आयोजनों में अटल जी कविताओं का पूरा आनंद लेते थे। इटावा के युवा कवि अशोक अंबर उनके पास जाकर पुस्तकें देकर आते थे। उनसे टिप्पणी भी लिखवा लेते थे। प्रसिद्ध कवि और गीतकार गोपालदास नीरज से भी अटल जी की काफी आत्मीयता थी। ऐसे अनेक अवसर आऐ जब अटल जी ने अपना लगाव इटावा के साहित्यिक परिवेश से व्यक्त किया।