Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अखिलेश के 'घर' में गरजे अमित शाह, निशाने पर रहा आइएनडीआइ गठबंधन; सपा के गढ़ में हैट्रिक लगाने की कवायद

    Updated: Mon, 29 Apr 2024 08:24 AM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 गृहमंत्री अमित शाह करीब सात साल बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ‘घर’ आए तो उनका तरकश मुद्दों के बाणों से सजा था। एक-एक बाण निकाल कर आइएनडीआइ गठबंधन पर संधान किया। राहुल बाबा और अखिलेश भैया के चुटकी भरे संबोधन के साथ दोनों नेताओं पर हमला किया। तरकश में परिवारवाद आतंकवाद कानून व्यवस्था राम मंदिर कोरोना वैक्सीन के बाण थे।

    Hero Image
    अखिलेश के ‘घर’ में शाह ने तरकश से निकाले मुद्दों के बाण

    जागरण संवाददाता, इटावा। (Etawah Lok Sabha Election 2024) गृहमंत्री अमित शाह करीब सात साल बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ‘घर’ आए तो उनका तरकश मुद्दों के बाणों से सजा था। एक-एक बाण निकाल कर आइएनडीआइ गठबंधन पर संधान किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राहुल बाबा और अखिलेश भैया के चुटकी भरे संबोधन के साथ दोनों नेताओं पर हमला किया। तरकश में परिवारवाद, आतंकवाद, कानून व्यवस्था, राम मंदिर, कोरोना वैक्सीन के बाण थे, तो इटावा में 10 वर्षों में कराए गए विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त के माध्यम से निकटता का अहसास कराते हुए सपा के गढ़ में हैट्रिक मारने का दांव भी था।

    अमित शाह ने 21 मिनट का किया संबोधन

    21 मिनट के संबोधन की शुरुआत में अमित शाह ने इटावा से आत्मीय रिश्ता जोड़ते हुए यहां के महाकालेश्वर, नीलकंठ, कालीवाहन, पिलुआ वाले हनुमान मंदिर को नमन किया। आजादी के आंदोलन में इस वीरभूमि के अविस्मरणीय योगदान का जिक्र करने के साथ ही कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया को याद किया तो नुमाइश पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजित हो गया।

    मंदिरों के प्रति श्रद्धा और कमांडर का स्मरण के साथ ही सीधे जनता से जुड़ने के लिए संवाद शैली में भाषण के चुनाव प्रबंधन के रणनीतिकार निहितार्थ निकाल रहे हैं। दरअसल, आजादी के आंदोलन में लाल सेना के जरिये चंबल घाटी में अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाले कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया आजादी के बाद जननेता बन चुके थे।

    यही वजह रही कि इटावा संसदीय चुनाव के इतिहास में 17 चुनावों में वह पहले और इकलौते निर्दलीय सांसद 1957 में चुने गए। समाजवाद के पुरोधा डॉ. राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, मधु दंडवते, मधु लिमये, कर्पूरी ठाकुर, चंद्रशेखर के अन्यन्न साथी रहे।

    वह 1967 में दमकिपा से और 1977 में जनता पार्टी से सांसद चुने गए। बहरहाल, चुनावी मौसम में शाह द्वारा समाजवाद के पुरोधा कमांडर का स्मरण नए समीकरणों को बुनने और अखिलेश के घर में भगवा दुर्ग को मजबूत करने के लिए अंतर्विरोध समाप्त करने की ओर इशारा कर गया है।

    इसी नुमाइश पंडाल में शाह ने पहली चुनावी सभा 27 अक्टूबर 2016 को संबोधित की थी। तब वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। आसन्न 2017 के विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत उस विजय संकल्प रैली के जरिये चुनावी शंखनाद कर सपा के गढ़ की 10 विधानसभा सीटों पर निशाना साधा गया था। तब सूबे में परिवर्तन की लहर को इटावा से तेज गति देने के लिए भाजपाइयों ने रैली की सफलता के लिए कवायद की थी।

    2014 में मोदी लहर के बाद विधानसभा 2017 में विजय संकल्प के साथ भाजपाइयों में उत्साह की लहरें हिलोरे मार रही थीं। सपा से संसदीय सीट छीनने के बाद भाजपा 10 में से 6 सीटों पर भगवा फहराने में कामयाब रही थी। इनमें सिकंदरा पर बसपा का और बाकी नौ सीटों पर सपा का कब्जा था। तब भाजपा सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को उनके ही ‘घर’ में घेरने में कामयाब रही थी। उस कामयाबी को आधार माना जाए, तो इस बार भाजपा ने शाह की सभा के जरिये दो संसदीय सीटों पर फिर से भगवा फहराने की हुंकार भरी है।

    तब गुलाबी सर्दी की शुरुआत हो चुकी थी और इस बार गर्मी में उमस से लोग पसीना-पसीना हो रहे थे। लेकिन भाजपाइयों में उत्साह की कमी नहीं थी। भारत माता और जय श्रीराम के जयकारों के साथ पंडाल गुंजित होता रहा। शाह भाजपाइयों में नई ऊर्जा का संचार कर गए।

    चुनावी सभा की सफलता के लिए करीब पांच दिन से गांव-गांव जनसंपर्क तेज हो गया था। जन प्रतिधिनियों के स्तर पर जारी अंतरद्वंद को पार्टी हाईकमान ने ‘सीजफायर’ कराकर उनका एक साथ जनसंपर्क कराकर धड़ों में बंटे कार्यकर्ताओं, समर्थकों को एकजुटता का संदेश दिया। लक्जरी गाड़ियों से क्षेत्र में निकले नेताओं ने तेज धूप में पगडंडियां भी नापी तो भव्य दिव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दूसरी बार हथेली में चावल लेकर शाह की चुनावी सभा का बुलउवा भी दिया।

    इसे भी पढ़ें: अमित शाह ने चौथे चरण की 13 लोकसभा सीटों के लिए दिया जीत का मंत्र, बोले- गुजरात मॉडल पर करें काम