मझले बेटे को भी जल देने का अधिकार
फोटो-1
--तर्पण--
आज के युग में हर व्यक्ति माता-पिता से हर इच्छा की पूर्ति चाहता है परंतु वक्त आने पर वह उनकी सुध भूल जाता है। एक अवधारणा है कि मझला बेटा किसी भी शुभ या अशुभ कार्य नहीं करेगा जैसा कि माता-पिता की मृत्यु के बाद क्रिया कर्म क्या वह उसी माता-पिता की संतति नहीं है? मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। परंतु मेरे पूज्य पंडित जी ने बताया कि नहीं, तुम्हें भी उतना अधिकार व कर्तव्य है और मैं उसी वर्ष से अपने माता-पिता व पूर्वजों को जौ-तिल मिश्रित जल से जलदान कर रहा हूं। माता-पिता व पूर्वजों का श्राद्ध करता हूं। जलदान करते समय ऐसा प्रतीत होता है कि समस्त पूर्वज व माता-पिता आकर असीम स्नेह से आशीर्वचन दे रहे हैं और यही मैं अपने समस्त बच्चों को सीख दे रहा हूं कि वे सभी इस क्रिया को अवश्य करें और पूर्वजों के आशीर्वाद से लाभान्वित हों।-डा. राजीव शुक्ला, चिकित्साधिकारी, पुलिस चिकित्सालय इटावा।
---
पूर्वज हमारे सब कुछ देख रहे हैं
फोटो-2
हमारे बुजुर्गो ने हमें सिखाया कि हमेशा बड़ों का आदर व सम्मान करो और उनसे आशीष बचन लेना चाहिए। उसी से हमारे जीवन का कल्याण होता है। इस लिये पितृ पक्ष में हम अपने पूर्वजों को जल अर्पित करते हैं और ब्राहमणों को भोजन का सेवन कराते हैं। इससे हमारे पूर्वज हमारे साथ नहीं है लेकिन फिर भी वो यह सब देख रहे हैं और प्रसन्न मन से हमको जीवन में हमेशा खुश रहो का आशीर्वाद देते हैं। जिसको हम अपने जीवन में महसूस करते हैं। हमारे पिता का पिछले वर्ष स्वर्गवास हो गया था लेकिन आज भी हम उनके बताये रास्ते पर चलकर खुशी का अनुभव करते हैं और यही संस्कार हम अपने बच्चों को भी बताते हैं।-अजय कुमार तिवारी, पुराना बस स्टैंड के पास, इटावा।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।