परेवा और अमावस्या को जल देना सबसे उपयुक्त
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पितृ पक्ष में में पूर्वजों को जल पिलाने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार में सुख समृद्धि आती है। पितृपक्ष में पड़वा और अमावस्या पर सबसे अधिक उपयुक्त तिथि होती है। पड़वा को पितर आ जाते हैं, चूंकि पहला दिन होता है ऐसे में उनको दिया गया जल बिना किसी बाधा के मिल जाता है। अमावस्या को भोजन खिलाने से उन्हें संतुष्टि का अनुभव होता है। मेरे पिताजी स्व श्री किशन चंद जौहरी एक किसान थे, तीन भाई और एक बहन में मैं सबसे बड़ा था। मैं उस समय छह साल का था जब पिताजी की मृत्यु हो गयी थी। उस समय पितृ पक्ष और श्राद्ध के बारे में नहीं जानता था। लेकिन जब बड़ा हुआ तो इसकी महत्ता मिली। हर साल जब पितृ पक्ष की शुरूआत होती है, तो मैं उनकी याद आती है। ऐसा लगता है कि जीवन के पांच दशक बाद भी वे मेरे आसपास ही हैं।
विनोद जौहरी, ज्योतिषाचार्य, भरथना राजागंज
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किसी का बुरा मत करो
मेरे पिताजी चिकित्सक थे, उन्होंने अपने जीवन में कभी किसी व्यक्ति का बुरा नहीं चाहा। आनंद चिकित्सा सदन पर जो भी गरीब मरीज आता था उसे बिना शुल्क लिए वह देखते थे। दो भाइयों में मैं सबसे छोटा था, अक्सर उनके क्लीनिक पर जाकर बैठ जाता था। एक दिन उत्सुकतावश पूछ लिया कि अब सबसे फीस क्यों नहीं लेते। पिताजी ने कहा कि ईश्वर से ही मांगना चाहिए, वह बोले कि जहां तक हो सके लोगों का भला करो, यदि तुम किसी का बुरा नहीं करोगे तो तुम्हारा कोई बुरा नहीं कर सकेगा। 30 अगस्त 2010 को मेरे पिता डॉ सूर्य प्रकाश त्रिपाठी शरीर से मुझसे दूर चले गये। लेकिन उनकी आत्मा आज भी मेरे साथ है। बड़े भाई डॉ समीर प्रकाश त्रिपाठी ने पिता के काम को संभाला, और मैं लोगों को शिक्षित कर रहा हूं। पितृ पक्ष में जब भी उनको जलदान देता हूं, तो उनके शब्द याद आ जाते हैं, भला किसी का कर न सको तो, बुरा किसी का मत करना।
सौरभ त्रिपाठी, लखना
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