सच्ची मित्रता में नहीं होता है स्वार्थ का समावेश
सचे मित्र कभी आपको दुर्व्यसनों के लिए प्रेरित नहीं करेंगे
एटा: सच्चा मित्र वह होता है जो आपको गलत कार्यों की तरफ जाने से रोके और अच्छे मार्ग की तरफ प्रेरित करे। अक्सर लोग अच्छी बात करने वाले, हंसी म•ाक करने वाले, मौज मस्ती में साथ देने वाले लोगों को अपना सच्चा मित्र मान लेते है जबकि जो मित्र आपको ़िफल्म देखने से रोके, नशा करने से रोके उसे आप गलत समझ बैठते है। याद रखिए आपके सच्चे मित्र कभी आपको दुर्व्यसनों के लिए प्रेरित नहीं करेंगे, क्योंकि सच्चे मित्र भाई के समान होते हैं। मुझे नहीं लगता कोई भाई अपने भाई को गलत रास्ते पर, दुर्व्यसनों की तरफ धकेलेगा। सच्चा मित्र बिना स्वार्थ आपके साथ रहता है, आपके हित की सोचता है, लाख लड़ाई हो जाए आपको नहीं छोड़ता है। ये कुछ बातें ही आपके जिस दोस्त में हो वही आपका सच्चा दोस्त है। जिस दोस्ती में स्वार्थ छिपा है वह किसी भी प्रकार से सच्ची मित्रता नहीं है। एक सच्ची मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए, जिसमें किसी प्रकार का स्वार्थ न हो अपने मित्र के प्रति छल कपट की भावना से परे हो। मित्र के रिश्ते को सभी रिश्तो से बढ़कर कहा गया है क्योंकि इस रिश्ते को हम खुद बनाते हैं।
सच्ची मित्रता से आशय है कि मित्र के सभी परिस्थिति में उसके साथ हो चाहे परिस्थिति उसके अनुकूल हो या प्रतिकूल। आज के समय मे हर कार्य बस दिखावा है हर व्यक्ति से जुड़ने के पीछे कुछ न कुछ स्वार्थ होता है। बहुत तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन 100 में से 10 फीसद लोगों की मित्रता ही निस्वार्थ है। ऐसे में जरूरी है कि सही मित्र की पहचान सच्चे मित्र के रूप में की जाए। जहां स्वार्थ दूर-दूर तक न हो। मित्र हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में एक मित्र का होना आवश्यक है। हां अगर वह सच्चा मित्र हो तो उस व्यक्ति का जीवन संवर जाता है। मित्र तो कोई भी किसी का बन जाता है। किसी से मित्रता करने का अर्थ सिर्फ उसके साथ कुछ खा पी लेना यह थोड़ी बातें कर लेना नहीं होता। मित्र हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में एक मित्र का होना आवश्यक है।
- प्रेमचंद्र उपाध्याय, प्रधानाचार्य, सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, एटा