शर्मनाक: चार दिन तक भूखे तड़पे... बेटों ने बुजुर्ग माता-पिता को घर से निकाला, एटा पुलिस बनी मददगार
एटा में एक दुखद घटना सामने आई। जलेसर के एक मोहल्ले में, दो बेटों ने अपने बूढ़े माता-पिता को घर से बाहर निकाल दिया और घर पर ताला लगा दिया। 72 वर्षीय हरिशंकर और उनकी 68 वर्षीय पत्नी कटोरी देवी चार दिनों तक भूख से तड़पते रहे। अंत में, उन्होंने पुलिस से मदद मांगी, जिन्होंने उनके घर का ताला तोड़कर उन्हें बचाया और राशन का इंतजाम किया।

पुलिस के पास पहुंचे बुजुर्ग।
अनिल गुप्ता, जागरण एटा। मां ने जन्म दिया तो पिता ने पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया। बूढ़े माता-पिता के हाथ पैर शिथिल हुए तो यही बेटे आए दिन झगड़ा करने लगे। हद तो तब हो गई जब चार दिन पूर्व दंपति के बेटों ने अपने माता-पिता को घर से निकाल दिया और मकान का ताला लगा कर चले गए।
चार दिन तक बुजुर्ग दंपत्ति भूख से तड़पते रहे। स्वाभिमान के चलते पड़ोसियों से अपना दर्द नहीं कह सके। हार कर वे कोतवाली पहुंचे और पुलिस को आप बीती सुनाई। पुलिस ने दोनों की मदद की। दंपति को घर ले गए ताला तुड़वाया। राशन पानी का इंतजाम किया। अब दंपति कह रहे हैं कि अपने बेगाने हो गए और बेगाने अपने।
स्वाभिमान के चलते पड़ोसियों से भी नहीं कह सके अपना दर्द, निराश होकर कोतवाली पहुंचे
यह दुख भरी दास्तान जलेसर कस्बा के मोहल्ला महावीरगंज निवासी 72 वर्षीय हरिशंकर और उनकी 68 वर्षीय पत्नी कटोरी देवी की है। उनके तीन बेटे संजू, विष्णु और एक अन्य है। एक बेटा कई वर्ष पूर्व अपनी पत्नी को लेकर फिरोजाबाद चला गया तब से वहीं रह रहा है। दो बेटे संजू और विष्णु अपने बच्चों के साथ जलेसर में ही रहते हैं।
हरिशंकर और उनकी पत्नी भी इसी घर में रहती हैं। हालांकि उनका कमरा अलग है। एक नवंबर को शाम चार बजे संजू और विष्णु अपने माता-पिता से झगड़ा करने लगे। उन्होंने रसोई का ताला लगा दिया। खाने पीने का राशन अन्य जरूरी सामान ताले में बंद कर दिया। माता-पिता को बाहर निकाल कर घर के दरवाजे पर भी ताला झाड़ दिया।
बुजुर्गों को घर से निकाल कर ताला लगा के चले गए बेटे, रसोई भी खुली नहीं छोड़ी
घर के बाहर एक कमरा बना हुआ है। दंपति उस कमरे में कर दिए जिसमें कोई सुविधा नहीं थी। दोनों बेटे घर से चले गए। दोनों ही अक्सर काम की दृष्टि से बाहर चले जाते हैं। लेकिन माता-पिता को लगा कि बेटे इतने निर्दयी नहीं हो सकते। इंतजार में रहे कि बेटे लौट आएंगे। एक दिन बीत गया दूसरा दिन भी गुजर गया और तीसरे दिन भी कोई नहीं आया। बुजुर्ग दंपति भूखे पेट तड़पते रहे। स्वाभिमान की वजह से पड़ोसियों से भी अपना दर्द नहीं कह सके। उन्हें यह भी लग रहा था कि किसी को कुछ बताया तो बच्चों की बदनामी होगी। इसलिए प्यास लगी तो अपने आंसू पी लिए और भूख लगी तो भगवान की ओर देख लिया। चौथे दिन पांच नवंबर दोहर 12 बजे दंपति ने हिम्मत जुटाई और जलेसर कोतवाली पहुंचे।
पुलिस से मांगी मदद
इंस्पेक्टर अमित कुमार को अपनी आपबीती बताई। जब इंस्पेक्टर को पता चला कि बुजुर्गों ने चार दिन से कुछ नहीं खाया। तो उन्हें भोजन करवाया। पुलिस की टीम बुजुर्गों को लेकर उनके घर गई। मकान और रसोई का ताला तुड़वाया। बुजुर्गों को घर में दाखिल कराया। पुलिस ने दंपति के भतीजे मुकेश को बुलाया, उससे कहा कि दोनों के भोजन की व्यवस्था करता रहे। आवश्यकता पड़े तो पुलिस को बताएं, पुलिस राशन पानी का इंतजाम करेगी।
इंस्पेक्टर ने बताया कि बुजुर्ग दंपत्ति को उनके घर में दाखिल कर दिया गया है। दंपति की देखभाल पुलिस करती रहेगी इसके लिए संबंधित चौकी प्रभारी को भी बता दिया है। उधर दंपति ने बताया कि की बेटी परेशान करते हैं खाना नहीं देते, लेकिन अब पुलिस से उम्मीद जगी है जो देवदूत बनकर हमारे सामने आई।

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