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    मौसम में बदलाव के साथ बढ़ने लगे निमोनिया के मरीज, बच्चों को सांस लेने में हो रही दिक्कत

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    मौसम बदलने के साथ निमोनिया के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, खासकर बच्चों में सांस लेने की समस्या बढ़ रही है। अस्पतालों में निमोनिया से पीड़ित बच्चों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि तापमान में अचानक गिरावट और प्रदूषण के कारण बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है। 

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    जागरण संवाददाता, एटा। मौसम में हो रहे लगातार बदलाव का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। दिन में गर्मी और रात में ठंडक बढ़ने से निमोनिया के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। गुरुवार को वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की बाल रोग बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 10 बच्चे निमोनिया के लक्षणों के साथ पहुंचे। इनमें अधिकांश की उम्र पांच वर्ष से कम पाई गई। चिकित्सकों ने उन्हें तत्काल उपचार के साथ विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।

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    मौसम बदलने के दौरान छोटे बच्चों को विशेष सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इस समय ठंडी हवा और तापमान में अचानक गिरावट के कारण बच्चों को सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार की शिकायतें आम हो जाती हैं, जो आगे चलकर निमोनिया में बदल जाती हैं। कई बच्चों में सांस लेने में तकलीफ और सीने में घरघराहट जैसी समस्या भी देखी जा रही है।

    डॉक्टरों का क्या है कहना?

    डाक्टरों का कहना है कि माता-पिता बच्चों को ठंड से बचाने के साथ ही खान-पान और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। बच्चे जमीन पर नंगे पैर न चलें, ठंडी चीजें न खाएं, और गंदे पानी में खेलने से परहेज करें। साथ ही, जिन बच्चों को सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार या लगातार खांसी की शिकायत हो, उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में दिखाया जाए।

    बाल रोग विशेषज्ञ एवं एचओडी डा. एबी सिंह ने बताया कि निमोनिया एक गंभीर संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। सांस लेने में भी परेशानी होती है। ऐसे कुछ मरीज आ रहे हैं। इनका समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में माता-पिता को सतर्क रहने की जरूरत है।

    बच्चों को गुनगुना पानी पिलाएं, संतुलित आहार दें और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचाएं। कहा कि मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव को हल्के में न लें और किसी भी प्रकार के श्वसन संक्रमण को नजरअंदाज न करें। शुरुआती लक्षणों पर ही इलाज कराने से निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव संभव है।