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    बड़े मियां की दरगाह मामले में अवागढ़ राजघराने ने हाइकोर्ट से स्थगनादेश लेकर की एंट्री, वक्फ बोर्ड को बड़ा झटका

    By pravesh dixitEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Sun, 01 Jan 2023 10:32 PM (IST)

    प्रशासन ने पिछले वर्ष अप्रैल में यह मामला खुलने के बाद दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अकबर अली की कमेटी को निरस्त कर दिया था और पूरी कमेटी के विरुद्ध एफआईआर द ...और पढ़ें

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    जलेसर स्थित बड़े मियां की दरगाह। जागरण

    एटा, जागरण संवाददाता: 99 करोड़ रुपये के गबन को लेकर सुर्खियों में आई जलेसर स्थित बड़े मियां की दरगाह मामले में अब अवागढ़ राजघराने की एंट्री हो गई है। राजघराने को संपत्ति को लेकर हाईकोर्ट से स्थगन आदेश मिल गया है। वक्फ बोर्ड को एक और झटका लगा है, क्योंकि यथास्थिति के आदेश के मुताबिक अब पूर्व में प्रशासन द्वारा गठित की गई पांच सदस्यीय कमेटी ही दरगाह का संचालन करेगी।

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    राजा जितेंद्र पाल सिंह ने दरगाह भूमि राजघराने की बताई है और इस मामले को लेकर वे उच्च न्यायालय में चले गए, जहां से उन्होंने स्थगनादेश प्राप्त कर लिया। जब गबन का मामला सामने आया था, तब जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने पांच सदस्यीय कमेटी दरगाह के संचालन के लिए गठित की थी, इस कमेटी में एसडीएम, तहसीलदार, सीओ, लेखपाल और जलेसर देहात के ग्राम प्रधान शामिल हैं। 

    प्रशासन ने पिछले वर्ष अप्रैल में यह मामला खुलने के बाद दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अकबर अली की कमेटी को निरस्त कर दिया था और पूरी कमेटी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले की विवेचना अभी भी चल रही है।

    बीच में वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि जिस भूमि पर दरगाह है वह जगह बोर्ड की है। इस पर प्रशासन ने वर्ष 1968 से यह जमीन ग्राम पंचायत की होने का दावा किया। इसके लिए आवश्यक अभिलेख खंगाले गए, जिनमें यह जगह प्रशासन की मिली, जो खाता संख्या 1125 पर 0.8660 हेक्टेयर, खसरा संख्या 222 और 223 पर दर्ज है। इन्हीं अभिलेखों को आधार बनाकर प्रशासन इस भूमि को अपनी बता रहा है। 

    उधर, वक्फ बोर्ड ने प्रशासन को कई बार चुनौती दी, सर्वे कराया और भूमि अपनी बताते हुए दरगाह के संचालन के लिए कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी में 99 करोड़ रुपये के गबन के आरोपियों के रिश्तेदारों और उनके नजदीकियों को शामिल कर लिया।

    इस पर प्रशासन ने आपत्ति जताई और शासन को रिपोर्ट भेजी। शासन जब तक कोई निर्णय लेता तब तक अवागढ़ राजघराने की मामले में एंट्री हो गई। अब राजा जितेंद्र पाल ने यह भूमि राजघराने की बताई है। इसके लिए उन अभिलेखों को आधार बनाया है जो पूर्व में राजघराने की संपत्ति के रूप में दर्ज थे। यथास्थिति के चलते वक्फ बोर्ड द्वारा गठित कमेटी काम नहीं कर पाएगी। 

    एसडीएम रामनयन ने बताया कि दरगाह कमेटी का संचालन पूर्व में जिलाधिकारी द्वारा गठित कमेटी ही कर रही है और चढ़ावा बैंक में जमा हो रहा है। अब तक 50 लाख से रुपये का चढ़ावा भी जमा हो चुका है। इस चढ़ावे का उपयोग अगर शासन या उच्च अधिकारियों का निर्देश होगा तो विकास कार्यों में किया जाएगा।